हरियाणा के कैथल में भ्रूण लिंग जांच का भंडाफोड़, निजी अस्पताल में चल रहा था घिनौना खेल
कैथल में निजी अस्पताल में चल रही भ्रूण लिंग जांच का पर्दाफाश हुआ है। अस्पताल लघु सचिवालय के पास इस अस्पताल में भ्रूण लिंग जांच की जा रही थी।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लघु सचिवालय के समीप स्थित आर्य अस्पताल में भ्रूण लिंग जांच को लेकर छापेमारी की। इस में स्वयं सिविल सर्जन डा. जयभगवान जाटान शामिल रहे। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग को शनिवार को गुप्त सूचना मिली थी।
इसमें बताया गया था कि इस अस्पताल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी की कोई जानकार दंपती ने रविवार को भ्रूण लिंग जांच के लिए पहुंचना है। इससे पहले भी वह भ्रूण लिंग जांच करवाने के लिए आ चुके हैं। इस पर सिविल सर्जन ने छह सदस्यीय टीम का गठन किया। जैसे ही उन्हें दंपती के आने सूचना मिली तो टीम ने मौके पर पहुंच रेड की। मौके पर सिविल सर्जन भी पहुंचे। इसके साथ ही रेड करने वाली टीम में डा. गौरव पूनियां, डा. शमशेर, नरेंद्र और राजेश शामिल रहे।
विभाग को शक है इस दंपतीर के पास पहले 11 वर्ष की बेटी है, ऐसे में पहले भी इसने ऐसा कार्य करवाया होगा। इसी को लेकर जानकारी जुटाने के लिए विभाग ने दंपती पर कार्रवाई करने को लेकर पुलिस को लिख दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रविवार शाम करीब पांच बजे छापेमारी की। यह रेड रात साढ़े आठ बजे तक जारी रही। विभाग ने अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डा. विजय कुमार व उसकी पत्नी व चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को लिख दिया है। जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अल्ट्रासांउड केंद्र को भी सील कर दिया है।
भ्रूण लिंग जांच के लिए ली गई थी 40 हजार रुपये की राशि
सिविल सर्जन डा. जयभगवान जाटान ने बताया कि विभाग को शनिवार को भ्रूण लिंग जांच करवाने की गुप्त सूचना मिली थी, जिस पर टीम का गठन किया गया। विभाग की टीम ने मौके पर ही रेड कर दी। इस डाक्टर ने भ्रूण लिंग जांच करने के लिए 40 हजार रुपये की राशि ली थी। यह दंपती दस दिन पहले भी जांच करवाने के लिए आए थे। इसमें अस्पताल के डा. विजय कुमार व उसकी पत्नी ने इन्हें लड़का होने की जानकारी दी थी। महिला अपने पति के साथ दोबारा अपनी तसल्ली करने के लिए रविवार को भ्रूण लिंग जांच करवाने के लिए पहुंची थी। भ्रूण लिंग जांच में नियमों का उल्लंघन भी किया गया है। इसमें अस्पताल में रजिस्ट्रर की एंट्री से लेकर पहचान पत्र तक नहीं था। इसके साथ ही न ही किसी डाक्टर की सिफारिश नहीं थी। इसके साथ ही यह भी सबूत मिले कि रेडियोलॉजिस्ट डाक्टर और उसकी पत्नी ने ही भ्रूण लिंग की जांच की है।