प्लॉट बेच किसान पिता ने खरीदे बेटी के ख्वाब
बराना गांव की अंजलि चौधरी ने खेलो इंडिया में 25 मीटर स्पोटर्स पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता और किसान पिता महावीर सिंह को समर्पित किया। ये प्रतियोगिता 10 जनवरी से गुवाहटी में चल रही है। अंजिल को इसकी मुकाम तक पहुंचाने के लिए न सिर्फ समाज के ताने सुने बल्कि प्लाट भी बेचना पड़ा। महावीर सिंह ने बताया कि 2015 में अंजिल ने शाटॉपुट में जिला स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। बेटी दौड़ लगाने जाती थी तो लोग उसे टोकते थे कि अकेले घर से मत भेजा करो।
विजय गाहल्याण, पानीपत : पिता ने प्लॉट बेचकर बेटी को शूटिंग के लिए पिस्टल दिलाई और बेटी ने उसी पिस्टल से ने खेलो इंडिया के 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक पर निशाना लगाकर पिता का मान बढ़ाया। अंजलि ने मेडल अपने किसान पिता महावीर सिंह को समर्पित किया। प्रतियोगिता 10 जनवरी से गुवाहटी में चल रही है। अंजलि के इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे एक लंबी कहानी है। महावीर सिंह ने बताया कि जब बेटी छोटी थी तब दौड़ लगाने जाती थी उस समय लोग ताने मारते थे। कहते की खेल में कुछ नहीं रखा, बेटी को बाहर अकेले भेजने पर भी मना करते। लेकिन हमने उसकी परवाह नहीं की और बेटी का हौसला कम नहीं होने दिया। 2015 में अंजलि ने शॉटपुट में जिला स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद से ही उसकी इच्छा और मजबूत हो गई। पैर में चोट के कारण रॉड पड़ी है इसलिए जब बेटी दौड़ लगाने जाती तो मैं भी उसके साथ बाइक से छह किलोमीटर जाता था। अक्टूबर 2015 में बेटी ने शूटिग खेलने की इच्छा जाहिर की। उसे नहीं पता था कि ये खेल महंगा है। 2016 में स्टेट में स्वर्ण और स्कूल नेशनल में रजत पदक जीता। शूटिंग की ट्रेनिंग के पिस्टल और अन्य उपकरण दिलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। महावीर के पास सिर्फ दो एकड़ जमीन थी। बेटी के अरमानों को उड़ान देने के लिए महावीर ने आठ लाख रुपये का प्लॉट बेचा। इससे 10 मीटर शूटिंग के लिए ढाई लाख और 25 मीटर के लिए डेढ़ लाख रुपये की पिस्टल मंगाई। डेढ़ लाख रुपये की गोलियां खरीदी। बेटी ने भी पिता के सपनों को साकार करने के लिए कड़ा अभ्यास किया औरपदकों की झड़ी लगा दी। 15 जनवरी को बेटी का 18वां जन्मदिन दिन था। बेटी ने पदक जीतकर मानो उसे ही जन्मदिन का तोहफा दे दिया हो। किराये पर घर लिया तो लोग बोले- बेटी के लिए घर बर्बाद करोगे, सफल हुई तो मिली बधाई
महावीर सिंह ने बताया कि नजदीक में अच्छी शूटिग रेंज नहीं थी। इसलिए 2018 में फरीदाबाद में किराये पर कमरा लेकर बेटी के साथ रहा। लोगों ने तब भी टोका कि बेटी के लिए घर को बर्बाद करोगे। उसने किसी की परवाह नहीं की। बेटी को फरीदाबाद करणी शूटिग रेंज में अभ्यास कराया। पत्नी सुमन ने भी काफी साथा दिया। अब बेटी कामयाब हो गई है तो बुराई करने वाले लोग ही बधाई देते हैं। इससे अच्छा लगता है। छह घंटे करती हूं अभ्यास, ओलंपिक में पदक जीतना है लक्ष्य
अंजलि चौधरी ने बताया कि 2019 में उसका खेलो इंडिया के तहत फरीदाबाद स्थित मानव रचना यूनिवर्सिटी की शूटिग रेंज में चयन हो गया है। सुबह 4:30 बजे जगती है। एक घंटा योग करने के बाद तीन घंटे अभ्यास करती है। लंच के बाद फिर से तीन घंटे अभ्यास करती है। शाम को दो घंटे जिम जाती है। उसका लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है।
ये है अंजलि की उपलब्धि
-2016 और 2017 में स्कूल नेशनल शूटिग चैंपियनशिप में रजत पदक।
-2018 और 2019 में खेलो इंडिया में शूटिग प्रतियोगिता में रजत पदक।
-2019 में नेशनल शूटिग प्रतियोगिता में तीन स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक।
-2019 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में रजत और कांस्य पदक।