गरीबी से हारे दूध विक्रेता पिता, बेटे ने कुश्ती में पदक जीतकर पूरा किया सपना
नितेश सिवाच राज्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में 12 पदक जीत चुके हैं। नितेश ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उनका लक्ष्य ओलिंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। रास्ता कठिन हैं। लेकिन कड़े अभ्यास से मुकाम तक पहुंचा जा सकता है।
पानीपत (विजय गाहल्याण)। तहसील कैंप के दूध विक्रेता आनंद सिवाच ने कुश्ती में पदक जीतने का सपना देखा था। कुछ दिन तक अखाड़े में भी गए,लेकिन गरीबी के दांव-पेच से वह हार गए। कुश्ती न कर पाने की टीस थी। उन्होंने ठान लिया था कि इकलौते बेटे नितेश सिवाच को पहलवान बना सपने को पूरा करूंगा। हुआ भी ऐसा ही। नितेश ने दादरी में हुई अंडर-23 ग्रीको कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता। अब वह 17 से 19 सितंबर को उत्तर प्रदेश के अमेठी में होने वाली नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक की दावेदारी पेश करेंगे।
12 पदक जीत चुके है
नितेश राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में 12 पदक जीत चुके हैं। नितेश ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उनका लक्ष्य ओलिंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। रास्ता कठिन हैं। लेकिन कड़े अभ्यास से मुकाम तक पहुंचा जा सकता है। वह रोज सात घंटे अभ्यास करते हैं। पिता आनंद उनके लिए अखाड़े में दूध-घी पहुंचाते हैं। सुशील को कुश्ती देख शुरू की पहलवानी 19 वर्षीय नितेश ने बताया कि पहलवान सुशील कुमार ने ओ¨लपिक में दो पदक जीते हैं। इससे कुश्ती को बढ़ावा मिला। 2012 में उन्होंने सुशील को छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती का अभ्यास करते देखा और उन्हीं से प्रेरित होकर पहले अपने सोनीपत के जागसी गांव के अखाड़े में फ्री स्टाइल कुश्ती का अभ्यास किया। इसके बाद खरखौदा के प्रताप स्कूल में कुश्ती के दांव सीखे।
पैर में चोट के कारण छूटा खेल
2015 में दाएं पैर में चोट लगी और आपरेशन के बाद खेल छूट गया। लगने लगा था कि उनका कुश्ती का भविष्य खत्म हो गया था। कोच ओमप्रकाश दहिया व संदीप उर्फ ओलंगा ने हौसला बढ़ाया। 2017 में ग्रीको कुश्ती शुरू की और नेशनल में स्वर्ण पदक जीता। नितेश की सफलता -2017 में नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। -2018 में नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वण पदक और विश्व कैडेट चैंपिनशिप में भागीदारी की। -2018 में खेलो इंडिया में रजत पदक। -2019 में कैडेट एशिया चैंपियनशिप में रजत पदक।