Move to Jagran APP

पिता के संघर्षो ने नवनीत को बनाया अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी

पिता के संघर्षो ने नवनीत को बनाया अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 04:57 PM (IST)
पिता के संघर्षो ने नवनीत को बनाया अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी
पिता के संघर्षो ने नवनीत को बनाया अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी

जतिन्द्र ¨सह चुघ, शाहाबाद

loksabha election banner

पिता का सपना था कि मेरी बेटी भी किसी बेटे से कम न हो। वह भी देश का नाम रोशन करे। खिलाड़ी बने। देश के लिए खेले। पिता ने बेहिचक बेटी को अपना ख्वाब बता दिया। मानों बेटी के मन की बात पिता ने कह दी हो। फिर क्या था पिता और बेटी ने संघर्ष के साथ सफलता का नया आयाम तय कर लिया। टीवी रिपेरिय¨रग का काम करने वाले बूटा सिंह ने भी दिन रात एक कर दिया और बेटी के साथ मैदान में, स्कूल में जूझते रहे। फिर क्या था मेहनत रंग लाई और पिता ने जो सोचा था वहीं हुआ। बेटी विश्व स्तर की हॉकी खिलाड़ी बन गई। हॉकी टीम इंडिया की फारवर्ड खिलाड़ी नवनीत कौर ने बताया कि मुझे मैदान में पहुंचने में देर न हो जाए, पिताजी अपना काम छोड़कर आ जाते थे। कई बार खेल के लिए काम धंधा छोड़कर दूसरे राज्यों में भी लेकर गए, लेकिन अपनी मुश्किलें मुझसे शेयर नहीं की। जब मैं टीम इंडिया में चयनित हुई तो वह कहते नहीं थकते.. ये देखो मेरा सपना, मेरी बेटी ने पूरा किया। उनकी ये शब्द आज भी मुझे हौसला देते हैं। मैं तो केवल मैदान में खिलाड़ियों से जूझती थी, पिता समाज से

नवनीत कौर ने बताया कि यदि समाज का प्रत्येक पिता कदम-कदम पर अपनी बेटी का सहयोग करे तो अवश्य ही वह बेटी सफलता के शिखर तक पहुंचेगी। उनकी सफलता का पैमाना भी उनके पिता बूटा ¨सह की अथाह मेहनत और लगन है। नवनीत ने कहा कि उन्होंने उस समय हॉकी स्टिक थामी थी जब समाज में ¨लगानुपता काफी बिगड़ा हुआ था और लोग बेटियों को स्कूल भेजने से भी परहेज करते थे। लेकिन उनके पिता ने समाज से ऊपर उठ कर उसका साथ दिया। स्कूल छोड़ने गए बेटी को तो दिखा सपना

नवनीत ने बताया कि हॉकी के द्रोण एसजीएनपी स्कूल में लड़कियों को हॉकी का प्रशिक्षण दिया करते थे और वह भी उसी स्कूल की छात्रा थी। बूटा सिंह ने बताया कि मैं बेटी को छोड़ने स्कूल जाता था और वहां सीनियर खिलाड़ी को देखता तो खुशी मिलती कि ये बेटियां देश का नाम रोशन कर रहीं है। मेरी बेटी भी देश का नाम रोशन करेगी। इसके बाद बेटी को यह बात बताई और उससे खेलने के लिए पूछा। बूटा सिंह ने बताया कि मानों उसके अरमानों को पंख लग गए। वह चाहती थी कि वह खिलाड़ी बने। गर्मी न बारिश की परवाह

नवनीत ने बताया कि चाहे कड़कती सर्दी और या फिर झुलसती गर्मी तड़के 4 बजे और सायं को उसके पिता उसे हॉकी मैदान में लेकर पहुंच जाते। नवनीत ने कहा कि हॉकी ग्राऊंड में दौड़ते हुए गोल पोस्ट के साथ-साथ उन्हें अपने पिता के सपने भी नजर आते थे। नवनीत ने बताया कि जब भी मैं अपने प्रदर्शन से निराश होती तो पिता उसे अन्य खिलाड़ियों के संघर्ष की बातें बताकर हौसला देते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.