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पानीपत में आठ साल की बेटी से वहशी बाप ने किया दुष्कर्म का प्रयास, 20 साल की कठोर सजा

पानीपत में शर्मसार कर देने वाला मामला। अप्रैल 2020 की घटना है। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए मां ने लड़ाई लड़ी। मां बोली चारों बच्चों की अकेले परवरिश करना मंजूर पर दुष्कर्मी के साथ नहीं रह सकती। आरोपित पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 08:32 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 08:32 PM (IST)
पानीपत में आठ साल की बेटी से वहशी बाप ने किया दुष्कर्म का प्रयास, 20 साल की कठोर सजा
पुलिस ने इस केस में 20 गवाह बनाए थे, 18 ने पिता के खिलाफ गवाही दी थी।

जागरण संवाददाता, पानीपत। आठ साल की मासूम बेटी के साथ दुष्कर्म का प्रयास कर रिश्ते को कलंकित करने वाले पिता को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमित गर्ग की कोर्ट ने 20 साल की कठोर सजा सुनाई है। दोषी पर 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। दोषी की पत्नी (पीड़िता की मां) ने ही चांदनीबाग थाना में शिकायत देकर मुकदमा दर्ज कराया था।

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मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला शामली के एक गांव निवासी दंपती दो बेटी, दो बेटों के साथ पानीपत के चांदनीबाग थाना क्षेत्र में किराये के घर में रह रहे थे। पति चिनाई मजदूर था। पत्नी घरों में काम करती थी। 24 फरवरी 2020 को बच्ची की मां ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह काम करने गई थी, पति घर में था। उसी दिन पति ने बड़े पुत्र को पैसे देकर ठेके पर शराब लेने भेज दिया। आठ साल की बेटी के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। दर्द से बच्ची की चीख निकली तो बेटी को धमकी देकर चुप करा दिया। शाम को वह घर पहुंची तो बच्ची ने रोते हुए पिता की करतूत बता दी।

पुलिस ने लगाईं ये धाराएं

शिकायत पर पुलिस ने आरोपित पिता के विरुद्ध छह पोक्सो एक्ट, 376एबी और 506 आइपीसी के तहत 25 फरवरी-2020 को मुकदमा दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था, तभी से जेल में बंद है। शुक्रवार को कोर्ट ने 376 आइपीसी और छह पोक्सो एक्ट में 20-20 साल की कठोर सजा, 25-25 हजार रुपये जुर्माना सुनाया। जुर्माना नहीं देने पर एक साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। दोनों सजा एक साथ चलेंगी, दोषी ने कोर्ट में जुर्माना जमा नहीं कराया है।

20 गवाह बनाए थे 

पुलिस ने इस केस में 20 गवाह बनाए थे, 18 ने गवाही दी थी। गवाहों में सरकारी अस्पताल के चार डॉक्टर, छह पुलिसकर्मी, दो शिक्षक (जिस स्कूल में बच्ची पढ़ रही थी), पीड़िता, उसकी मां और भाई आदि शामिल हैं।

मां-बेटी रहीं अडिग

बेटी को न्याय दिलाने के लिए मां ने पति के खिलाफ न केवल मुकदमा दर्ज कराया बल्कि सजा दिलाने तक अडिग रही। उसे अपने चारों बच्चों की परवरिश अकेले करना गवारा था। दुष्कर्मी पति के साथ रहना मंजूर नहीं किया। उधर, पीड़िता ने पुलिस, बाल कल्याण समिति और कोर्ट में बिना झिझक बयान दिए, इससे दोषी के वकील भी हतप्रभ थे।

कोरोना के कारण अटकी रही फाइल

मुकदमा 25 फरवरी-2020 को दर्ज हुआ। 11 मार्च-2020 को जांच एसआइ सुरेश को सौंपी गई। जांच के दौरान उसी माह 26 तारीख को फाइल एसपी कार्यालय भेजी गई। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि कोविड-19 के कारण फाइल करीब ढाई माह फाइल एसपी कार्यालय में रही और 12 जून 2020 को वापस थाना पहुंची। तीन दिन बाद पुलिंदा (बच्ची और पिता के इनर वियर आदि) फोरेंसिक लैब मधुबन भेजा गया।

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