किसानों का प्रदर्शन, पैसेंजर ट्रेन न रुकने से गुस्सा, रेलवे ट्रैक पर बैठे, मालगाड़ी रोकी
यमुनानगर के सरस्वती नगर में पैसेंजर ट्रेन के ठहराव की मांग को लेकर लोगों में गुस्सा दिखा। जिसके कारण महिलाएं और किसान ट्रैक पर धरने पर बैठ गए। हालांकि रेलवे विभाग के अधिकारियों ने उनको मनाने का प्रयास किया लेकिन किसान नहीं माने।
सरस्वती नगर(यमुनानगर), संवाद सहयोगी। सरस्वती नगर में पैसेजेंर ट्रेन के ठहराव की मांग को लेकर क्षेत्र के लोगों को गुस्सा फूट गया। भाकियू जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना व संगठन सचिव हरपाल सुढल ने नेतृत्व में भारी संख्या में महिलाएं व किसान ट्रैक पर दरिया बिछाकर बैठ गए। इस दौरान करीब सवा बारह बजे एक मालगाड़ी आई। जोकि धरना स्थल से पहले ही रुक गई। लंगर का आयोजन भी ट्रैक पर हुआ। हालांकि रेलवे विभाग के अधिकारियों ने उनको मनाने का प्रयास किया, लेकिन किसान नहीं माने। भाकियू के जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना का कहना है कि पहले भी अधिकारी एक सप्ताह का समय ले चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। करीब छह घंटे किसान रेलवे ट्रैक पर डटे रहे। करीब तीन बजे अंबाला से एडीएआरम किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने 21 जनवरी से पहले ट्रेनों के ठहराव का आश्वासन दिया।
10 बजे से डट गए थे किसान
सुबह करीब 10 बजे किसान रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए थे। इस दौरान रेलवे ट्रैक को रोकने की योजना नहीं थी। किसान केवल धरने पर ही बैठे थे। बाद में जब अधिकारियों से बात करने के लिए गए तो संतोषजनक जवाब नहीं मिला। कोई अधिकारी उनके पास नहीं आया। उसके बाद किसानों व महिलाओं ने ट्रैक पर ही धरना देने का निर्णय ले लिया। उनका कहना है कि सरस्वती नगर में पैसेंजर ट्रेन के ठहराव की मांग को लेकर 29 दिसंबर को डीएआरएम से मिले थे। उस दौरान उन्होंने एक सप्ताह का समय मांगा था। आज दो सप्ताह से अधिक बीत गए। बात जहां थी, आज भी वहीं है। दो कदम भी आगे नहीं बढ़े हैं। शुक्रवार को भी एक सप्ताह का समय मांगा, लेकिन किसानों ने इंकार कर दिया। उनके मुताबिक सरस्वतीनगर में कोरोना काल से पहले छह ट्रेने रुकती थी। लेकिन इन दिनों ठहराव बंद है।
यह आ रही दिक्कत
भाकियू के जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना ने कहा कि पैसेंजर ट्रेन न चलने से क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। दैनिक कार्यों के लिए गंतव्य स्थान पर नहीं जा पा रहे हैं। नौकरी पेशे के साथ-साथ महिलाएं भी परेशान हैं। घर चलाने के लिए हर दिन पैसा चाहिए। यदि ट्रेन चल जाती है तो महिला अकेली भी शहर-बाजार जा सकता है। लेकिन ट्रेनें बंद होने के कारण महिलाएं भी परेशान हैं। उनको दैनिक कार्यों के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है। किसी को शहर में दिहाड़ी मजदूरी के लिए जाना है तो किसी को ईलाज के लिए जाना होता है।