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हरियाणा में रेड व येलो जोन वाले गांवों के किसानों को मिलेगा अनुदान, ऐसे करें आवेदन

हरियाणा में किसानों को अनुदान मिलने जा रहा है। प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत रेड व येलो जोन में शामिल गांव के किसान जो कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए आवेदन नहीं कर पाए थे। वे 25 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 03:56 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 03:56 PM (IST)
हरियाणा में रेड व येलो जोन वाले गांवों के किसानों को मिलेगा अनुदान,  ऐसे करें आवेदन
हरियाणा में कृषि यंत्रों पर किसानों को मिलेगा अनुदान।

जींद, जागरण संवाददाता फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत रेड व येलो जोन में शामिल गांव के किसान, जो कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए आवेदन नहीं कर पाए थे। वे 25 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। डीसी नरेश कुमार ने बताया कि ऐसे किसान एग्री हरियाणा सीआरएम डाट काम पर आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिले के अनुसूचित जाति के किसान भी व्यक्तिगत व कस्टम हायरिंग सेंटर में कृषि यंत्रों की खरीद के लिए आवेदन कर सकते हैं। व्यक्तिगत श्रेणी में 50 फीसद अनुदान दिया जाएगा।

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इसी तरह से किसानों की सहकारी समिति, एफपीओ, पंजीकृत किसान समिति तथा पंचायत द्वारा कस्टम हायरिंग सेेंटर स्थापित करने पर 80 फीसद अनुदान दिया जाएगा। चयन के बाद किसान सूचिबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से मोल-भाव कर अपनी पसंद के निर्माता से खरीद सकते हैं। जिनकी सूचि विभागीय पोर्टल एग्री हरियाणा डाट काम पर उपलब्ध है सहायक कृषि अभियंत्रा विजय कुमार कुंडू ने बताया कि जिले के रेड जोन में 20 और येलो जोन में 76 गांव शामिल हैं। इस स्कीम के तहत अनुदान देने के लिए सारी प्रक्रिया का संचालन जिला स्तरीय कमेटी करेगी। जिसके चेयरमैन डीसी हैं।

पराली प्रबंधन पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान

जिले जो किसान स्ट्रा बेलर से बेल बनाकर पराली प्रबंधन करना चाहते हैं, उनको सरकार द्वारा एक हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान का प्रावधान है। इच्छुक किसान कृषि विभाग के पोर्टल पर पराली की गांठ के उचित निष्पादन के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।

रेड और येलो जोन

जिन गांवों में पिछले साल पराली जलाने के पांच से ज्यादा मामले आए थे, उन गांवों में रेड जोन में शामिल किया गया है। वहीं जिन गांवों में पराली जलाने के पांच से कम मामले थे, उन गांवों को येलो जोन में शामिल किया गया है। इन गांवों पर प्रशासन का पूरा फोकस रहेगा।


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