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पराली जलाने के दुष्प्रभाव से रूबरू हुए किसान, मजदूर और आढ़ती

दैनिक जागरण और कृषि विभाग की ओर से अनाज मंडी में किसान, आढ़ती और मजदूर को पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक किया गया। कृषि विभाग के खंड तकनीकी प्रबंधक सतेंद्र ¨सह ने कहा कि पराली किसानों के लिए हर तरह से उपयोगी है। चारा और खाद में आसानी से इसका प्रयोग किया जा सकता है। पराली को सड़ने में देर नहीं लगती है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। आगामी फसल में खाद का कम उपयोग करना पड़ता है। किसानों ने भी अपनी समस्या अधिकारी के सामने रखी, जिसका उन्होंने जवाब दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 08:13 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 08:13 AM (IST)
पराली जलाने के दुष्प्रभाव से रूबरू हुए किसान, मजदूर और आढ़ती
पराली जलाने के दुष्प्रभाव से रूबरू हुए किसान, मजदूर और आढ़ती

जागरण संवाददाता, समालखा : दैनिक जागरण और कृषि विभाग की ओर से अनाज मंडी में किसान, आढ़ती और मजदूर को पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक किया गया। कृषि विभाग के खंड तकनीकी प्रबंधक सतेंद्र ¨सह ने कहा कि पराली किसानों के लिए हर तरह से उपयोगी है। चारा और खाद में आसानी से इसका प्रयोग किया जा सकता है। पराली को सड़ने में देर नहीं लगती है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। आगामी फसल में खाद का कम उपयोग करना पड़ता है। किसानों ने भी अपनी समस्या अधिकारी के सामने रखी, जिसका उन्होंने जवाब दिया।

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किसान जयपाल ¨सह, गजेंद्र ¨सह, सुनील, अशोक, आढ़ती प्रेम ¨सह, रामस्वरूप, श्रीपाल ने कहा कि 1509 किस्म के धान की पराली के खरीदार कम हैं। मजदूर भी इसे काटने के लिए अधिक रकम की मांग करते हैं। पशुओं को भी यह पसंद नहीं आता है। कम जोत के किसानों के लिए इसे बाहर ले जाकर बेचना कठिन होता है। खाद बनाना ही इसका सबसे सरल और सस्ता उपाय है।

खंड तकनीकी अधिकारी ने कहा कि सरकार ने इसके सरल निस्तारण और प्रबंधन के लिए सुविधा मुहैया कराई है। तीन-चार गांवों का कस्टम हाय¨रग सेंटर बनाकर वहां फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण उपलब्ध कराए हैं। कोई किसान वहां से रियायती दरों पर उपकरण हायर कर अपनी फसल कटवा सकता है। कृषि उपकरण मौके पर ही खेत में पराली की खाद बना देता है। किसान को निजी व सामूहिक रूप से कृषि यंत्र खरीदने पर 20 से 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

निजी स्वार्थ से ऊपर उठने का आह्वान

कृषि अधिकारी ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा सहित लोगों की सेहत पर पराली के प्रभाव को देखते हुए किसानों को निजी स्वार्थ से ऊपर उठना होगा। कृषि विभाग हर तरह से किसानों की मदद के लिए तैयार है। उनकी सभी समस्याओं को हल निकाला जाएगा। पराली से जहां जमीन बंजर होती है। वहीं इससे वायु के साथ जल प्रदूषण को भी खतरा है। सभी के सहयोग से ही धरती, जल और वायु को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। ग्लोबल वार्मिग की समस्या से निजात मिल सकती है।


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