हरियाणा में मानसून की देरी से मायूस किसान, फसलों के उड़ी रंगत
मानसून की देरी की वजह से किसाान मायूस हो रहे हैं। फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। 10 जुलाई से मानसून सक्रिय होने को लेकर किसान को थोड़ी उम्मीद बची हुई है। वहीं बारिश और थोड़ा देरी से होती है तो फसल खराब हो सकती हैं।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। मानसून में हो रही देरी से जहां जन जीवन अस्त व्यस्त हो रहा है, वहीं किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। धान उत्पादक किसान इससे काफी परेशान हैं। जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है, उनके लिए धान के खेत में सिंचाई बड़ी समस्या बन चुकी है। जिन किसानों के पास अपना ट्यूबवेल कनेक्शन नहीं है, उन्हें धान की सिंचाई पर अधिक धन भी खर्च करना पड़ रहा है। अगर मानसून की देरी और लंबी हो गई तो इससे धान का रकबा 15 से 20 फीसद घटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
सिंचाई करने में छूट रहे पसीने
रादौर क्षेत्र के किसान सतीश कुमार, हरदयाल सिंह, जय किशोर, विकास, विपिन, जयदेव, गुरदयाल सिंह ने बताया कि हर वर्ष जून माह में मानसून आ जाता था। जिससे किसानों को धान की रोपाई करने में आसानी हो जाती थी। इस वर्ष जुलाई का एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है। अभी तक मानसून नहीं पहुंचा है। किसानों के लिए धान की रोपाई करना कठिन हो गया है। जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है, उन्हें धान के खेत में पानी देने में पसीने छूट रहे हैं। इसके अलावा अभी धान का काफी रकबा बाकी है। अगर जल्दी मानसून नहीं आया तो यह रकबा खाली रहने के आसार भी बने हुए हैं। जिससे इस वर्ष धान का उत्पादन भी कम होगा।
दो घंटे बिजली बढ़ाना पर्याप्त नहीं
मानसून की समस्या को देखते हुए सरकार ने किसानों को दो घंटे अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति करने का निर्णय लिय है। किसानों को आठ की बजाय 10 घंटे बिजली आपूर्ति होगी। लेकिन किसानों का कहना है कि मात्र दो घंटे बिजली बढ़ाने से इस समस्या का हल होने वाला नहीं है। कम से कम 12-14 घंटे बिजली दी जानी चाहिए।
किसान तलाशे अन्य विकल्प
खंड कृषि अधिकारी मौजी कंबोज ने बताया कि इस वर्ष धान की फसल में पानी का अधिक दोहन हो रहा है। जिस खेत में किसान 2 घंटे ट्यूबवेल चला कर सिंचाई की भरपाई कर देता था,वहीं इस बार उसे उसी खेत में 5 घंटे ट्यूबवेल चलाना पड़ रहा है। जिससे पानी का दोहन अधिक हो रहा है। ऐसे में किसान के सामने समस्या गंभीर है। वहीं दूसरी ओर पानी का जलस्तर भी इससे काफी नीचे जाने के आसार हैं। इसलिए जिन किसानों ने अभी धान की रोपाई नहीं की है उन किसानों को अन्य विकल्प पर ध्यान देना चाहिए। ताकि वह भी परेशानी से बच सके और पानी का जलस्तर भी कम होने से बचाया जा सके।