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सरकारी विभाग की गलती की सजा भुगत रहे किसान

मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल खुलने के बाद भी किसानों की परेशानी दूर नहीं हुई है। किसान दफ्तरों के चक्कर काटते रहे। तहसीलदार सुमनलता ने दोबारा सभी को रजिस्ट्रेशन का भरोसा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:57 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:57 AM (IST)
सरकारी विभाग की गलती की सजा भुगत रहे किसान
सरकारी विभाग की गलती की सजा भुगत रहे किसान

जागरण संवाददाता, समालखा : राजकीय विभाग की गलती की सजा किसानों को मिल रही है। मंगलवार को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल खुलने के बाद भी किसानों की परेशानी दूर नहीं हुई है। किसान दफ्तरों के चक्कर काटते रहे। तहसीलदार सुमनलता ने दोबारा सभी को रजिस्ट्रेशन का भरोसा दिया है।

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सरकार ने किसानों को रजिस्ट्रेशन के लिए 5 और 6 अप्रैल को पोर्टल खोलने की बात कही थी। 5 अप्रैल को पोर्टल नहीं खुला, जिससे दिनभर किसान राजस्व विभाग के दफ्तर में डेरा डाले रहे। तहसीलदार के प्रयास से 6 अप्रैल को पोर्टल खुला। फिर भी बिलासपुर, हथवाला, चुलकाना आदि के किसानों के रजिस्ट्रेशन नहीं हो सके। किसानों में रोष देखा गया।

गलती महकमे की

चुलकाना के वेदपाल, भूप सिंह, सुभाष, रकम सिंह, भीम सिंह, राक्सेड़ा के काला और सुखदेव सिंह ने बताया कि हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (हरसेक) ने ड्रोन तो राजस्व और कृषि विभाग ने मैन्युअल उनके फसलों की गिरदावरी की है। तीनों की गिरदावरी रिपोर्ट में तालमेल नहीं है। ऑनलाइन रिपोर्ट में 3500 एकड़ रकबे की फसल का लेखाजोखा नहीं मिल रहा है। हरसेक का डाटा मशीनरी है। पटवारी और कृषि अधिकारी अपनी रिपोर्ट को सही बता रहे हैं। कोई अपनी गलती स्वीकार नहीं रहा है, जिसकी सजा उनको मिल रही है।

29 में 20 गांव की जमाबंदी ऑनलाइन

तहसीलदार सुमनलता ने बताया कि खंड में 33 गांव हैं। हथवाला में चकबंदी तो बिलासपुर में कोर्ट केस से गिरदावरी नहीं हुई है। 20 गांवों की जमाबंदी 2019-20 तक अपडेट है। सभी की ई-गिरदावरी चढ़ी है। केवल चुलकाना, पट्टीकल्याणा, किवाना, नारायणा आदि 9 गांवों की ई-गिरदावरी नहीं हुई है। इनकी मैन्युअल गिरदावरी है। उनकी गिरदावरी में गलती नहीं है। पटवारियों से शपथ पत्र दिया है।

तकनीकी खामियों से परेशानी : बीएओ

खंड कृषि पदाधिकारी जितेंद्र सरोहा कहते हैं कि गांवों में कृषि योग्य भूमि नहीं दिखाना तकनीकी खामी है। उन्होंने मैन्युअल सर्वे करवाकर डाटा ऑनलाइन किया है। मार्केट कमेटी के सहायक सचिव कृष्ण कुंडू कहते हैं कि सरकार के निर्देशानुसार बगैर रजिस्ट्रेशन वाले गेहूं की खरीद नहीं हो सकती है। मैसेज के बिना भी रजिस्ट्रेशन वाले किसानों की फसल खरीदी जा रही है। मेरी फसल, मेरा ब्योरा पोर्टल कृषि विभाग के पास है। उनका कोई लेनादेना नहीं है।


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