लुधियाना से झांसी 790 किमी का पैदल सफर, थके तो बच्चों सहित श्मशान घाट में डाला डेरा
सौ किमी पैदल चलकर हाईवे किनारे दो परिवारों ने श्मशानघाट में डाला डेरा है। परिवार लुधियाना से झांसी जा रहा है।
पानीपत/अंबाला, जेएनएन। अपने परिवार के साथ लुधियाना से झांसी जाने के लिए पैदल निकले थे। आसरा कहीं मिलता नहीं दिखा तो अब शमशानघाट में आकर रुके हैं। यहीं पर रात बिताएंगे और झांसी जाने के लिए पैदल ही निकलेंगे। यह दास्तान सुनाई लुधियाना मजदूरी करने वाले दो परिवारों ने। थक कर चूर हो चुके यह लोग शमशानघाट में आराम कर रहे हैं।
परिवार में शामिल प्रेम बिहारी, कामकेश, शंकर, हेमलता, मालती, नेहा, रेखा ने बताया लुधियाना में मजदूरी करते हैं। एक ओर लॉकडाउन है और दूसरी ओर कामकाज भी बंद पड़ा है। झांसी में परिवार रहता है और वहां पर भी हालात कोई ज्यादा ठीक नहीं हैं। मां-बाप बुला रहे हैं तो रहा नहीं गया। घर पहुंचने का कोई साधन नहीं मिला, जिसके चलते दोनों परिवार पैदल ही चल पड़े। बीच में एक-दो बार किसी गाड़ी वाले ने बिठा लिया, जिसने कुछ दूरी के बाद उतार दिया। फिर पैदल चल दिए।
श्मशानघाट में बैठे परिवार के सदस्यों ने बताया कि कुछ लोग आए थे, जो खाने के लिए कुछ देकर गए हैं। अब रात को यहीं पर रुकेंगे और मंगलवार की सुबह रवाना होंगे। इसी तरह अंबाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग की र्सिवस लेन पर एक ट्रक में सवार कुछ लोग गोरखपुर जाने के लिए बैठे थे। इन लोगों ने बताया कि वे बनूड़ से गोरखपुर जा रहे हैं। काम धंधा सब चौपट हो चुका है और नकदी भी नाममात्र की है। कम से कम अपने घर पहुंचकर परिवार वालों की देखभाल तो कर ही लेंगे।