एनेस्थिस्ट-सर्जन रहते सिविल अस्पताल में बाहरी से सिजेरियन डिलीवरी
सिविल अस्पताल में तीन गायनोलॉजिस्ट(स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ)और दो एनेस्थिस्ट (बेहोशी के डॉक्टर) होने के बावजूद प्राइवेट चिकित्सकों पर पैसा लुटाया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, पानीपत
सिविल अस्पताल में तीन गायनोलॉजिस्ट (स्त्री रोग और प्रसूति विशेषज्ञ)और दो एनेस्थिस्ट होने के बावजूद प्राइवेट डॉक्टरों पर पैसा बहाया जा रहा है। वर्ष 2019 में विजिट पर ऑपरेशन थियेटर पहुंचे निजी डॉक्टरों को अस्पताल प्रशासन को करीब पांच लाख का भुगतान करना है। एडवोकेट की ओर से आरटीआइ में मांगी जानकारी से इस खेल से पर्दा उठा है। कुछ यूं चलता है खेल
सिविल अस्पताल में तीन गायनोलॉजिस्ट डॉ. शशिलता, डॉ. लिपिका और डॉ. मनी हैं। इनमें से एक न एक डॉक्टर लंबी चाइल्ड केयर लीव पर रहती है। एक डॉक्टर की दिन में, दूसरे की रात के समय ऑन कॉल ड्यूटी पर रहती है। रात्रि पहर में सिजेरियन डिलीवरी बहुत कम होती हैं। ऑन कॉल ड्यूटी करने वाली डॉक्टर नाइट ड्यूटी बताकर, अगले दिन छुट्टी पर रहती है। दिन की ड्यूटी करने वाली डॉक्टर छुट्टी पर रहने पर प्राइवेट सर्जन बुलाया जाता है। एनेस्थिस्ट दो हैं, डॉ. कविता और डॉ. विरेंद्र ढांडा। इनके मौजूद नहीं रहने पर सिजेरियन डिलीवरी के समय प्राइवेट एनेस्थिस्ट बुलवाए जाते हैं। किया पांच लाख से अधिक का भुगतान
वर्ष 2019 में जनवरी से नवंबर तक सिविल अस्पताल में कुल 575 सिजेरियन डिलीवरी हुईं। इस दौरान 41 बार प्राइवेट सर्जन और 122 बार बेहोशी के डॉक्टर बाहर से बुलाए गए। सर्जन को एक लाख 43 हजार 500, एनेस्थिस्ट को 3.66 लाख (कुल पांच लाख नौ हजार 500) रुपये का भुगतान किया गया है। बता दें कि सर्जन को प्रति केस साढ़े तीन हजार, एनेस्थिस्ट को तीन हजार दिए जाते हैं। पैनल में छह डॉक्टर शामिल
अस्पताल प्रशासन ने तीन सर्जन और तीन बेहोशी के डॉक्टरों को पैनल में शामिल किया हुआ है। इनमें क्रमश: डॉ. रीना चौधरी, डॉ. आरपी जिदल, डॉ. सौरभ और डॉ. पीपी, डॉ. सोनिया, डॉ. दीपक शामिल हैं। एक साल में 541 महिलाएं रेफर
अस्पताल में तीन सरकारी गायनोलॉजिस्ट और तीन प्राइवेट सर्जन पैनल में शामिल होने, लाखों रुपये लुटाने के बावजूद रेफरल संख्या कम नहीं हो रही है। वर्ष 2019 में अस्पताल में करीब साढ़े 9 हजार डिलीवरी हुईं, 541 महिलाओं को खानपुर रेफर किया। अस्पताल में 2019 में 25 नवजात भी दम तोड़ चुके हैं। वर्जन :
अब संज्ञान में मामला आया है। चिकित्सा अधीक्षक से पहले पूरे मामले को समझा जाएगा। कुछ गड़बड़ लगी तो जांच कराएंगे।
हेमा शर्मा, डीसी सरकार की अनुमति से ही प्राइवेट चिकित्सकों को पैनल में शामिल किया गया है। अस्पताल के डॉक्टर छुट्टी पर होते हैं, तभी प्राइवेट चिकित्सकों को बुलाया जाता है। सरकार द्वारा निर्धारित फीस उन्हें भुगतान की जाती है।
डॉ. आलोक जैन, एमएस