Move to Jagran APP

एक ऐसा परिवार जिसका हर शख्‍स कलाकार, अंतरराष्‍ट्रीय और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मिले कई पुरस्‍कार

आइए आपको मिलाते हैं कुरुक्षेत्र की एक ऐसे परिवार से जिसका हर शख्‍स कलाकार है। घर के पांच सदस्य पांचों किसी ने किसी क्षेत्र में पारंगत हैं। पिता चित्रकार 10 साल का बेटा अंतरराष्ट्रीय तबदला वादक दोनों बेटियां कत्थक नृत्यांगना माता हिंदी की शिक्षिका व कवियत्री।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 11:37 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 11:37 AM (IST)
एक ऐसा परिवार जिसका हर शख्‍स कलाकार, अंतरराष्‍ट्रीय और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मिले कई पुरस्‍कार
एक कार्यक्रम के दौरान मननदीप सिंह तबलावादन करते हुए।

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [विनीश गौड़]। अक्सर आपने सुना होगा कि चित्रकार का बेटा चित्रकार, गायक का बेटा गायक, नृत्यांगना की बेटी नृत्यांगना। मगर कुरुक्षेत्र के एक परिवार ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। यहां पिता चित्रकार तो बेटा 10 साल की उम्र में इंटरनेशनल तबला वादक बन गया, माता ङ्क्षहदी की शिक्षिका और कवियित्री तो बेटियां अंतरराष्ट्रीय स्तर की कत्थक नृत्यांगना बन गई। परिवार में पांच सदस्य  अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के 25 अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं। परिवार के पांचों सदस्य कला के चार अलग-अलग क्षेत्रों में पारंगत हैं। आइए मिलवाते हैं इस अनोखी फेमिली से।

loksabha election banner

इस फैमिली में सबसे छोटे हैं मननदीप सिंह। ये दस साल के हैं और अभी डीएवी स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ते हैं। महज छह साल की उम्र में इन्होंने तबला वादन का पूरी तरह से ज्ञान लेना शुरू कर दिया था और अब तक मथुरा में हो चुकी इंटरनेशनल मल्टी लिग्‍वल प्ले डांस एंड म्यूजिक फेस्ट में प्रथम, वर्ष 2019 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सक्रीय एक एसोसिएशन की ओर से सुरतरंग में द्वितीय, वर्ष 2020 फरवरी में यमुनानगर में आयोजित विश्वास संगीत महोत्सव-2020 में तृतीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। जबकि नामधारी सिख संगत की ओर से आयोजित किए गए इंटरनेशनल तबला वादन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर चुके हैं, जो जून 2020 में आयोजित हुई थी।

इसमें द्वितीय स्थान आस्ट्रेलिया के तबलावादक ने प्राप्त किया था। दूसरी सदस्य गुरनूर हैं जो मननदीप सिंह की जुड़वा बहन हैं। ये भी छठी कक्षा में पढ़ रही हैं और कत्थक की नृत्यांगना है। इन्होंने इंटरनेशनल क्लासिकल डांस एसोसिएशन की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार समेत अब तक तीन प्रतियोगिताओं में अपनी कला का लोहा मनवाया है।

इसके बाद 12 वर्ष की करमनदीप कौर हैं इन्होंने अपने पिता और दोनों भाई बहनों में सबसे ज्यादा 13 पुरस्कार जीते हैं। करमनदीप कौर कत्थक की नृत्यांगना हैं। इन्होंने भी छह साल की उम्र में ही कत्थक सीखना शुरू कर दिया था और हाल ही में उन्होंने आईसीडीए इंटरनेशनल ऑनलाइन कत्थक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जबकि फरवरी 2020 में विश्वास संगीत महोत्सव में स्पेशल अवॉर्ड जीता है। पिता मलकीत सिंह ललित कला में स्नातकोत्तर हैं और ऑल इंडिया आर्ट एंड क्राफ्ट सोसाइटी की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में जीत चुके हैं। वे लियोग्राफी, लिनो, वुड कट्स, पेंटिंग और पोर्टेट प्रतियोगिता में तीन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में जीत चुके हैं।

दो साल की उम्र में ही बर्तन बजाने लगा था मननदीप

माता यशपाल कौर बताती हैं कि हर बच्चे के अंदर अलग कला होती है। उसे बस समय रहते निखारने की जरूरत होती है। करमनदीप कौर के बचपन से ही हाथ पैर में काफी हलचल रहती थी। छह साल की हुई तो समर कैंप में भाग लेने गई, जिसमें कत्थक सीखने का मौका मिला इसके बाद डा. अमरजीत कौर ने इन्हें कत्थक सिखाना शुरू कर दिया। छोटी गुरनूर की भी कत्थक में रुचि बनने लगी। वहीं मननदीप दो साल की उम्र में ही बर्तन बजाने लगा था, जिसके बाद उसे तबला सिखाने की सोची और आज वह अरविंद भट्ट जिनके पास तबला सीख रहा था उनका सबसे छोटा और सबसे सीनियर शागिर्द बन गया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.