चाहे मोदी की सरकार आवै, यूं इक तरफा इलेक्शन नहीं..
सीक गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना महाभारत का दक्षिणी द्वार है। इसे यक्ष द्वार के नाम से जाना जाता है। मक्षक्रुक यक्ष की काले पत्थर से बनी प्रतिमा इस परिसर में साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध है।
अरविन्द झा, पानीपत (इसराना)
सीक गांव का महाभारत कालीन यक्ष द्वार। परिसर में प्रवेश करते ही द्वार के पास बुजुर्ग और युवा शांत माहौल में हुक्के का कश लगा रहे हैं। दस कदम की दूरी पर नीम के पेड़ के नीचे मजदूर सरिये की रिग बनाने में पसीना बहा रहे हैं। सरकार किस दल की बनेगी.कौन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। बस इतनी चर्चा शुरू होते ही द्वार सियासी रंग में रंग गया। बुजुर्ग मतदाता कहने लगे चाहे कोई सरकार आवै.कोई देश का प्रधानमंत्री बने. किसानों को मोहरा बनाने के सिवाय और कुछ नहीं किया। फसल की लागत ने किसानों को कर्जदार बना दिया।
हुक्का गुड़गुड़ाते हुए ओमप्रकाश ने कहा कि यूं ठीक तो मोदी है। सरकार चाहे किसी की बने। आपसी फूट से इनेलो बिखर गई। झोले में पट्टिका लिए महाभारत काल के पुख्ता प्रमाण दिखाने आए पालेराम कुर्सी पर बैठकर कहने लगे कि गांव में सड़कें बनी हैं, लेकिन मोदी ने दिखावा ज्यादा किया। कांग्रेस पार्टी भी पहले ऐसा करती रही है। एक ही परिवार ने इतने समय तक देश पर शासन किया।
चुनावी चर्चा की शोर सुनकर युवा मतदाता मंजीत भी रुचि दिखाने लगे। मंजीत ने कहा कि सरकार तो मोदी की बनेगी। क्यों बनेगी मोदी की सरकार.ऐसा के कर दिया। ताऊ सब कुछ सामने है। दिव्यांग बसाऊ ने कहा कि उनका गांव हाडवा है। फोर्थ ग्रेड की नौकरी में उनके गांव के 19 बच्चे लगे हैं। बिना एक फूटी कौड़ी दिए। वो भी गरीब तबके के युवा हैं। नौकरी की बात आई तो जितेंद्र नंबरदार भी दिल की बात उस चौपाल पर साझा करते हुए बोले 12वीं पास बेटे पर दबाव बनाकर फार्म भराया। फार्म भरने में जो खर्च आया जेब से वही गया। रिजल्ट आने पर बेटा भी पास हो गया।
सियासी चर्चाओं में मशगूल बुजुर्ग ओमप्रकाश बीच में बोल पड़े। मोदी का राज आवैगा। यूं हम नहीं जनता कह रही है। सारे पाíटयों ने देश पर राज कर लिए। ई कुछ ठीक सा है। बुढ़ापे में जोश दिखाकर पालेराम ने ऊंची आवाज लगाई। यूं सब सुन लै.यो एक तरफा इलेक्शन नहीं है। गरीबों का भला आज तक किसी पार्टी ने नहीं किया। इतिहास :
सीक गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना महाभारत का दक्षिणी द्वार है। इसे यक्ष द्वार के नाम से जाना जाता है। मक्षक्रुक यक्ष की काले पत्थर से बनी प्रतिमा इस परिसर में साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध है। महाभारत के वन पर्व में इसका उल्लेख है। कील और लकड़यिों से बना मुख्य द्वार भी महाभारतकालीन काष्ठ कला को प्रर्दिशत करता है।