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बीमार है शहर का ईएसआइ अस्पताल, मरीजों से नहीं सरोकार

सिविल अस्पताल से भी ज्यादा बदतर हालात, अल्ट्रासाउंड-डिलीवरी की नहीं सुविधा। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय बैरंग लौटा दिया जाता है।

By Edited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 07:54 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 07:54 AM (IST)
बीमार है शहर का ईएसआइ अस्पताल, मरीजों से नहीं सरोकार
बीमार है शहर का ईएसआइ अस्पताल, मरीजों से नहीं सरोकार

जागरण संवाददाता, पानीपत: राजकीय बीमा कर्मचारी चिकित्सालय के हालात सिविल अस्पताल से भी ज्यादा खराब हैं। करीब 46 साल पहले स्वीकृत हुए पद अभी तक चले आ रहे हैं। बीमाधारकों की संख्या पांच गुना बढ़ चुकी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ नहीं होने के कारण श्रमिकों के परिवार की गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय बैरंग लौटा दिया जाता है। गौरतलब है कि राजकीय बीमा कर्मचारी (ईएसआइ) चिकित्सालय का शुभारंभ 16 जून 1971 को प्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री खुर्शीद अहमद ने किया था। अस्पताल के अलावा गांव नांगलखेड़ी और मॉडल टाउन में डिस्पेंसरी भी है। उद्घाटन वर्ष में बीमाधारकों की संख्या मात्र 30 हजार थी।

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उसी हिसाब से मेडिकल ऑफिसर, सीनियर स्पेशलिस्ट, जूनियर स्पेशलिस्ट, मेडिकल ऑफिसर, नर्सिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी के पद स्वीकृत किए थे। खाताधारकों की संख्या बढ़कर 1 लाख 40 हजार तक पहुंच गई, पदों की संख्या अभी तक नहीं बढ़ाई गई है। स्वीकृत में से भी कुछ पद रिक्त चल रहे हैं। शिशु रोग, गायनोलॉजिस्ट, फिजिशियन और छाती रोग विशेषज्ञ तक अस्पताल में नहीं है। 40 डॉक्टरों की जरूरत मेडिकल ऑफिसर, जूनियर स्पेशलिस्ट , आयुर्वेदिक डॉक्टर, असिस्टेंट मेट्रन, नर्सिंग सिस्टर, स्टाफ नर्स और फार्मासिस्ट के भी कुछ पद रिक्त चल रहे हैं। अस्पताल में राउंड द क्लॉक 6 डॉक्टर हैं, जब्कि 40 डॉक्टरों की जरूरत है।

नतीजा, फिलहाल यह अस्पताल रेफरल केंद्र बना हुआ है। डिस्पेंसरी भी मात्र दो मानकों की बात करें तो हर 10 हजार मरीजों पर एक डिस्पेंसरी होनी चाहिए। ब्लड जांच जैसी सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। उस हिसाब से जिले में 14 डिस्पेंसरी होनी चाहिए, जबकि यहां दो डिस्पेंसरी हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी
डॉक्टरों, कर्मचारियों और संसाधनों के अभाव की सूची समय-समय पर उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जाती रही है। विशेषज्ञ महिला चिकित्सक और उन्नत ऑपरेशन थियेटर नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान भर्ती नहीं किया जाता। बीमा धारक पैनल अस्पताल में डिलीवरी संपन्न कराकर, खर्च के बिल यहां जमा कर सकता है। डॉ. शिव कुमार, चिकित्सा अधीक्षक


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