बैंक को लगाया 155 करोड़ का चूना, प्रवर्तन निदेशालय ने टिंबर कारोबारी को किया गिरफ्तार
बैंक के साथ करोड़ों की गड़बड़ी का मामला। प्रवर्तन निदेशालय ने टिंबर कारोबारी को बैंक के साथ 155 करोड़ की गडबड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है। तीन साल साल पहले घर व प्रतिष्ठान पर भी जांच के लिए पहुंची थी टीम।
करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल में प्रवर्तन निदेशालय ने शहर के एक टिंबर काराेबारी को बैंक से करीब 155 करोड़ की कथित धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया है। उन्हें मंगलवार को पंचकूला में मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में पेश किया गया। इसके बाद अदालत ने उन्हें चार दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।
बता दें कि ईडी के पास करीब पांच साल से आरोपित कारोबारी अशोक मित्तल के संबंध में मामला पहुंचा हुआ है, जिसके चलते दिसंबर 2019 में ईडी के 50 सदस्यों की टीम ने उसके टिंबर मार्केट स्थित प्रतिष्ठान व सेक्टर 13 में आवास पर भी छापेमारी की गई थी। उस पर आरोप था कि बैंक अधिकारी की मिलीभगत से लेटर आफ क्रेडिट की सीमा 21 से बढ़ाकर 195 करोड़ रुपये कर दी थी, जिसे उनकी सिंगापुर स्थित संस्थाओं में प्रयोग किया गया। बताया जा रहा है कि ऐसे में बैंक को करीब 155 करोड़ की चपत लगी थी।
जांच को भी गुमराह कर रहे
सूत्रों के अनुसार ईडी ने आरोप लगाया कि मित्तल ने जांच के दौरान सहयोग नहीं किया और उन्होंने प्रासंगिक सूचनाओं को छिपाने का सहारा लिया। एजेंसी के मुताबिक वह जांच को भी गुमराह कर रहे थे। इस संंबंध में सीबीआई द्वारा एफआइआर दर्ज की गई , जिसके बाद मामला मनी लांड्रिंग का सामने आया था। अब आरोपित कारोबारी को गिरफ्तार कर चार दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजा गया है। हालांकि अभी इस संबंध में कोई अधिकारी पुष्टि करने को तैयार नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि जांच के दौरान आरोपि कारोबारी सहयोग नहीं कर रहा था, जिसके चलते उसे गिरफ्तार करना पड़ा। उधर अधिकारिक तौर पर उक्त कारोबारी की गिरफ्तारी को लेकर कोई अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
छापेमारी के दौरान बरामद किए थे जरूरी दस्तावेज
बता दें कि दिसंबर 2019 में जब ईडी की टीम ने आरोपित के प्रतिष्ठान व आवास पर छापेमारी की थी तो दूसरे व्यापारियों में भी हड़कंप मच गया था। इस कार्रवाई के दौरान न तो किसी को टीम ने बाहर जाने दिया था और न ही किसी को अंदर जाने दिया गया था। कड़ी सुरक्षा के लिहाज से पुलिस के अलावा पैरा मिलिट्री के जवान भी तैनात रहे थे। जांच टीम को इस दौरान कई जरूरी दस्तावेज मिले थे, जिन्हें अपने साथ ले गई थी।