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धान छुड़वा मक्का और कपास पर जोर, किसान खर्च कम के साथ बचा सकेंगे पानी

गिरते भू जल स्तर को बचाने के लिए किसानों को धान छोड़ अन्य वैकल्पिक खेती करने के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत वैकल्पिक खेती के तौर पर मक्का व कपास के साथ सब्जी तथा बागवानी के प्रति जोर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 08:26 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 08:26 PM (IST)
धान छुड़वा मक्का और कपास पर जोर, किसान खर्च कम के साथ बचा सकेंगे पानी
धान छुड़वा मक्का और कपास पर जोर, किसान खर्च कम के साथ बचा सकेंगे पानी

जागरण संवाददाता, पानीपत : गिरते भू जल स्तर को बचाने के लिए किसानों को धान छोड़ अन्य वैकल्पिक खेती करने के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत वैकल्पिक खेती के तौर पर मक्का व कपास के साथ सब्जी तथा बागवानी के प्रति जोर दिया गया है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि वैकल्पिक खेती को चुन किसान खर्च कम करने के साथ पानी को बचा सकेंगे। वहीं प्रदेश भर से अभी तक 858 किसानों ने धान छोड़ वैकल्पिक खेती करने को लेकर पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। इसमें पानीपत जिले के 24 किसान है। मक्का, कपास और बागवानी पर जोर

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मेरी पानी-मेरी विरासत योजना के तहत प्रदेश भर में धान छोड़ वैकल्पिक खेती को लेकर एक लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। इसमें मक्का, कपास के अलावा सब्जी और बागवानी पर जोर दिया गया है। साथ ही पशुओं के लिए चारे का लक्ष्य भी कम नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक मक्का अंबाला में 3149, भिवानी में 15, चरखी दादरी में 5, फरीदाबाद में 138, फतेहाबाद में 258, गुरुग्राम में 35, हिसार में 150, झज्जर में 80, जींद में 155, कैथल में 1400, करनाल में 3000, कुरुक्षेत्र में 1000, मेवात में 10, पंचकूला में 1850, पानीपत में 725, रेवाड़ी में 13, रोहतक में 93, सिरसा में 225, सोनीपत में 600, यमुनानगर में 2100 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है। कपास का लक्ष्य

वैकल्पिक खेती के तौर पर कपास का सबसे ज्यादा लक्ष्य रखा गया है। इसमें भिवानी में 3100, चरखी दादरी में 2650, फरीदाबाद में 600, फतेहाबाद में 9000, गुरुग्राम में 60, हिसार में 5000, झज्जर में 2600, जींद में 10000, कैथल में 4100, करनाल में 25, कुरुक्षेत्र में 15, मेवात में 75, पानीपत में 50, रेवाड़ी में 125, रोहतक में 1000, सिरसा में 11000, सोनीपत में 2100 एकड़ में बुवाई कराने का लक्ष्य मिला है। कितने किसानों ने कराया पंजीकरण

खरीफ-2022 सीजन को लेकर मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अभी तक प्रदेश से 6723 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इससे 44 हजार 243 एकड़ का पंजीकरण हुआ है। इसमें से मेरी पानी-मेरी विरासत योजना के तहत अभी तक 858 किसानों ने ही पंजीकरण कराया है। इससे 1867 एकड़ जमीन का पंजीकरण हुआ है। हालांकि अभी तक धान की सीधी बुवाई को लेकर किसी भी किसान ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। जबकि उसको लेकर भी प्रदेश में एक लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। पानी के साथ खर्च भी बचा सकेंगे किसान

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. आदित्य प्रताप सिंह ने कहा कि धान की बजाय वैकल्पिक खेती को चुन किसान पानी के साथ लेबर, जुताई, खाद व पेस्टीसाइड जैसे हजारों रुपये के खर्च को बचा सकेंगे। ऊपर से सरकार सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देगी। वैकल्पिक खेती मक्का, कपास, तिलहन आदि की सरकार शत प्रतिशत एमएसपी रेट पर खरीद करेगी। उन्होंने कहा कि गिरते भू जल स्तर को बचाने के लिए वैकल्पिक खेती को अपनाना जरूरी है।


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