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एक नया परिवार तो मिला, लेकिन दर्द नहीं भरा, जानिए वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की भावुक कहानी

छावनी के वृद्धा आश्रम में कई बुजुर्ग रह रहे हैं। अपने घर से दूर इन बुजुर्गों से तो अब कोई अपना मिलने भी नहीं आता। कई ऐसे भी हैं जो आज भी अपने बच्‍चों को याद कर फफक पड़ते हैं। जानिए कुछ ऐसे ही बुजुर्गों की जिंदगी के बारे में।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 03:57 PM (IST)
एक नया परिवार तो मिला, लेकिन दर्द नहीं भरा, जानिए वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की भावुक कहानी
छावनी के वृद्धा आश्रम में रह रहें बुजुर्ग।

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। छावनी के वृद्धा आश्रम में रहने वाली छह महिलाओं का परिवार यहां रहने वाले अन्य लोग परिवार के सदस्य बन चुके है। कोई मां कहकर बुलाए यह तो सपना तो अब धरा का धरा रह गया। यह शब्द छावनी रामबाग के निकट बेसहारा बुजुर्गो के लिए संचालित होने वाले वृद्धा आश्रम में रहने वाली एक नहीं बल्कि छह मां के कांपती जुबान से निकले। बच्चों को याद करना इन मां के लिए किसी गहरे जख्म को कुरेदने से कम नहीं था।

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बच्चों की याद से जुड़े घर को छोड़ा

गाजियाबाद की 80 वर्षीय बुजुर्ग बताती हैं कि वह अपने दो बेटों के इस दुनियां से चले जाने का गम नहीं सह सकी। यह वाकया 10 साल पहले का है। इसके बाद वह अचानक अपना घरबार छोड़कर निकल पड़ी, करीब एक सप्ताह तक रुक रुककर चलती रही और अंबाला जिले में पहुंच गई। कई दिनों तक सड़क के किनारे रही फिर उसे स्थानीय लोगों ने छावनी के वृद्धा आश्रम में पहुंचा दिया। वर्ष 2012 से अब वृद्धा आश्रम ही घर बन चुका है। अपनी कांपती आवाज से दोनों बेटों की याद में रो पड़ती है।

दो बेटों को दुनियां छोड़ जाने पर आहत

पंजाब के बूटा सिंह गांव से आई 63 वर्षीया बुजुर्ग बताती है कि पांच साल पहले एक काला दिन आया और उसमें उसका बेटा इस दुनियां से चला गया। गांव और परिवार वालों के ताने से आजिज आकर उसने अपना घर छोड़कर निकल पड़ी और अंबाला के वृद्धा आश्रम पहुंच गई। बताती हैं कि कभी कभी तो पूरी रात बच्चों की याद आती है और नींद गायब हो जाती है। बच्चों की एक एक बात को याद करके दिल रो पड़ता है। तो वृद्धा आश्रम में रहने वाले दूसरे लोग ढांढस बधांने हैं।

इशारे से बताती हैं अपनी दास्तां

हिमाचल की महिला बोल नहीं सकती। पर ईश्वर ने उनके भीतर एक गुणवान महिला के सभी गुण दे रखे हैं। इशारे में बाताती है कि उनका भरा पूरा परिवार चंडीगढ़ में था। अचानक समय का ऐसा चक्र आया कि परिवार के एक एक करके सभी सदस्य इस दुनियां से चले गए। साथ में रहने वाली बिहार प्रांत की महिला बताती है कि हम तो इनके साथ रहकर इशारे को समझने लगे हैं। नीतू भी अपने पति के इस दुनियां से चले जाने के बाद अपनी दो बेटी के साथ यहीं पर गुजर बसर कर रही हूं।

पूरा दिन भक्ति रस में डूबी रहती हूं

चंडीगढ़ की रहने वाली 55 वर्षीय महिला 2018 से वृद्धा आश्रम में रह रहीं है। पूरा दिन भगवान की भक्ति में अपना समय काट रहीं हैं। सुबह स्नान ध्यान के बाद से भक्ति में डूबी रहती हैं। बताती है कि अब तो भगवान के पास जाने से पहले ऐसा भक्त बनना चाहती हूं कि जो इस जन्म में हुआ वह अगले जन्म में न हो। समाज के कल्याण और लोकहित के लिए पूरे दिन पूजा पाठ करती हूं कि भगवान ने जो दुख हमें दिया है वह और किसी को न दे। बस अब यही आखिरी इच्छा है कि भगवान इसी तरह भजन कीर्तन करते हुए अपने पास बुला ले।


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