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दीन की दुआ से वही अमृत हो जाती रोटियां

जागरण संवाददाता पानीपत अंकन साहित्यिक मंच के वाट्सएप ग्रुप आओ गुनगुना लें गीत के माध्यम से

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 07:41 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 07:41 AM (IST)
दीन की दुआ से वही अमृत हो जाती रोटियां
दीन की दुआ से वही अमृत हो जाती रोटियां

जागरण संवाददाता, पानीपत : अंकन साहित्यिक मंच के वाट्सएप ग्रुप आओ गुनगुना लें गीत के माध्यम से बुधवार को ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका विषय रोटी रहा। शुभारंभ नोएडा की वरिष्ठ कवयित्री डा. दमयंती शर्मा ने सरस वाणी वंदना से किया। अध्यक्षता कर रहे हरिद्वार के गीतकार बृजेंद्र हर्ष ने कहा मौत बनकर जिदगी को खा गई हैं रोटियां, जिदगी को किस कदर उलझा गई हैं रोटिया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि हरगोविद झांब कमल ने कहा जो संग्रह करे हवस में कहीं नवाला छीन कर, प्रभु छीन लेता भूख-विष बन जाती रोटियां, कोई मुंह की निकाल डाले-किसी पेट और के दीन की दुआ से वही अमृत हो जाती रोटियां। नई दिल्ली के राष्ट्रीय गीतकार डा. जय सिंह आर्य ने कहा जमाने के गम को पिए जा रहा हूं, गजल पर गजल मैं दिए जा रहा हूं, तुम्हें मुफ्त की रोटियां हों मुबारक, करम की दुआ मैं किए जा रहा हूं। प्रख्यात गीतकार विनोद भृंग ने कहा होता नहीं भजन भी अगर भूख लगी हो, मुश्किल से अपनी भूख दबाता है आदमी। गुरुग्राम की प्रसिद्ध कवयित्री निवेदिता चक्रवर्ती ने कहा याद आती हैं हमको मां की लाड़ भरी रोटियां, मिल पाती हैं अब किसको प्यार भरी रोटियां। वरिष्ठ कवि केसर कमल शर्मा ने कहा रोटी ने छू ली आकाश की ऊंचाई है, कठिनाई के ताले जड़कर जीवन-द्वार बंद कर डाले। प्रसिद्ध गीतकार संजय जैन ने कहा भूखी रहकर मुझे तो खिलाती रही, याद है किस तरह से पाला मुझे, भूख मिटती नहीं होटलों मे मेरी, अपने हाथों का दे निवाला मुझे। प्रीतम सिंह प्रीतम ने कहा इस रोटी की खातिर घर छोड़ विदेश को जाते, अन्न-संधि से जन-संधी रोटी का निवेश बनाते। भारतभूषण वर्मा ने कहा रोटी दर-दर मांग के बालक हुआ निहाल, बाल भिखारी देख के उठने लगे सवाल। इनके अतिरिक्त संतोष त्रिपाठी, प्रीतमसिंह प्रीतम, श्रीकृष्ण निर्मल, महेंद्र माही और नरेश कुमार ने स्वरचित कविताएं सुनाई।

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