डॉ. प्रदीप के निलंबन से डॉक्टरों में रोष, स्वास्थ्य मंत्री से मिलेंगे
सिविल अस्पताल के निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार को सस्पेंड करने से सरकारी डॉक्टरों में रोष व्याप्त है।
जागरण संवाददाता, पानीपत
सिविल अस्पताल के निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार को सस्पेंड करने से सरकारी डॉक्टरों में रोष व्याप्त है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने रविवार को डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. नवीन सुनेजा से मिलकर अपना पक्ष रखा है। जल्द ही एसोसिएशन के पदाधिकारी स्वास्थ्य मंत्री से मिलने जाएंगे।
गौरतलब है कि निरीक्षण के दौरान साहब ¨सह नाम के मरीज की शिकायत पर स्वास्थ्य मंत्री ने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप को निलंबित करने को कहा था। मरीज का आरोप था कि टूटे पैर पर प्लास्टर के लिए पीओपी और बैंडेज जनसेवा दल वाले लेकर आए हैं। एसोसिएशन के जिला प्रधान डॉ. नारायण डबास ने कहा कि सामान बाजार में खुले मेडिकल स्टोर से मंगवाया जाता तो डॉक्टर की गलती थी। जनसेवा दल मरीजों की सेवा करता है। कुछ दवाएं और बैंडेज मरीजों को मुहैया कराता है, इसीलिए सरकार ने करोड़ों रुपये की जमीन और कई कमरे उसे इस्तेमाल के लिए दिए हुए हैं। ऐसे में दल की तरफ से उपलब्ध कराए गए बैंडेज और पीओपी को बाहर का सामान नहीं कहा जा सकता। डॉ. प्रदीप ने कहा कि मरीज ने बैंडेज और पीओपी के लिए पैसे चुकाए हैं तो जनसेवा दल के सदस्य दोषी हैं। उनका कोई दोष नहीं है।
जिला प्रधान ने कहा कि जल्द ही एसोसिएशन के पदाधिकारी स्वास्थ्य मंत्री से मिलेंगे और अपना पक्ष रखते हुए निलंबन आदेश वापस लेने की अपील करेंगे। जन सेवा दल के भोजन पर भी सवाल :
सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर में जन सेवा दल को इस्तेमाल के लिए मुहैया कराई गई जमीन, कमरों और मरीजों को बांटे जाने वाले भोजन का भी दबी जुबां से विरोध करना शुरू कर दिया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन के पास पुलिस पोस्ट के लिए जगह नहीं है जबकि डॉक्टरों-कर्मचारियों पर कई बार हमले हो चुके हैं। मरीज-तीमारदारआपस में भिड़ते रहे हैं। अस्पताल से रोजाना वाहन चोरी की शिकायत मिलती है। जन सेवा दल को पहले से अधिक जगह और बने-बनाए कमरे दे दिए गए हैं। इसके अलावा जन सेवा दल मरीजों को खीर, ब्रेड पकौड़े, समोसा आदि खिलाता है। यह भोजन मरीज के लिए कितना नुकसान करेगा, इसका ख्याल नहीं रखा जाता। मरीजों के डाइट चार्ट और हाइजीन का भी जनसेवा दल ध्यान नहीं रखता है।