करनाल से दोगुना खर्च, सफाई में पानीपत फिसड्डी
पानीपत में दोगुना खर्च होने के बावजूद सफाई जर्जर है।
जागरण संवाददाता, पानीपत: सफाई के लिए पानीपत में करनाल से दोगुना खर्च किया जा रहा है। इसके बावजूद सफाई के मामले में हम नाकाम साबित हो रहे हैं। कारण जानने के लिए दैनिक जागरण टीम ने दोनों शहरों का तुलनात्मक अध्ययन किया तो पाया कि कूड़ा प्रबंधन का सही इंतजाम नहीं होना इसमें सबसे बड़ी बाधा है।
पानीपत के कूडे़ के निस्तारण के लिए सोनीपत के मुरथल में प्लांट लगाने की कवायद शुरू हुई थी। जनवरी 2019 में इस पर काम शुरू होना था, जो एक साल बाद भी अधर में है। करनाल में सीएनजी का उत्पादन कूड़े से हो रहा है। 1800 यूनिट बिजली बनती है। प्लांट का फायदा यह है कि शहर का पूरा कचरा उठाया जा रहा है। पानीपत की स्थिति यह है कि सात-आठ किलोमीटर दूर निबरी में आठ एकड़ जमीन में ही कूड़ा रखा जा रहा है। पानीपत में कब-कब क्या-क्या
2006 में पार्षदों को नगर परिषद में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का डेमो दिखाया, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।
-2007 में एक्सनोरा को मॉडल टाउन में डोर-टू-डोर कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी दी।
-2012 तक एक्सनोरा ने मॉडल टाउन में कूड़ा प्रबंधन किया, गोहाना रोड पर खाद का प्लांट भी लगाया।
-एक्सनोरा को उद्योगों से मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद की गई तो यह प्रोजेक्ट भी बंद हो गया।
-शहर की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम के सफाई कर्मचारियों पर रही।
-सफाई न होने और स्वच्छता रैंकिग की शुरुआत होने से फिर से सफाई चर्चा में रही।
-2015 तक निजी ठेकेदार डॉ. अंसारी शहर की सफाई व्यवस्था को संभालते रहे।
-2017 में पूरे शहर में कूड़े उठाना का ठेका जेबीएम कंपनी को दिया गया।
-2018 में तीन सड़कों जीटी रोड, गोहना रोड और जाटल रोड की सड़कों की स्वीपिग का ठेका कृष्ण मूर्ति हुडा को दिया। वर्तमान स्थिति
-वर्तमान में 600 कर्मचारी सफाई में लगे हैं।
-जेबीएम के 500 कर्मचारी कूड़ा उठान में लगे हैं।
-सफाई खर्च 88 लाख से बढ़कर 4.50 करोड़ रुपये मासिक पहुंच चुका है।
2020 तीन सड़कों की स्वीपिग का 80 लाख का ठेका रद करने की कवायद शुरू। करनाल जिले से तुलना
पानीपत करनाल
-सॉलिड वेस्ट
मैनेजमेंट प्लांट एक भी नहीं दो प्लांट (काछवा रोड, मेरठ रोड)
-स्लाटर हाउस नहीं एक स्लाटर हाउस
-जोन नहीं चार जोन
-कूडे से बिजली नहीं 1800 यूनिट बन रही
-डंपिग प्वाइंट एक 6
-कूड़ा अलग
अलग करने की
व्यवस्था पूरी नहीं डंपिग प्वाइंट पर भी प्लांट में भी
-सफाई पर
खर्च 2.27 करोड़ 4.50 करोड़ (प्रतिमाह) रोशन लाल गुप्ता
समस्या
-शहर में सफाई जीरो स्तर पर है।
-भ्रष्टाचार के कारण सफाई नहीं हो रही।
-मेयर के पिता भूपेंद्र सिह को धरने पर बैठना पड़ता है।
-नाले, सड़क गलियों में कूड़ा ही कूड़ा है।
-शिकायत सुनी नहीं जाती।
समाधान :
-भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाया जाए।
-जिम्मेदारों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट करनाल की तर्ज पर लगाया जाए।
-जोन बनाकर अलग-अलग टेंडर दिए जाएं।
-टेंडर देने के बाद सफाई न हो तो रद करने का अधिकार भी होना चाहिए। सुरेश गुप्ता
समस्या :
-सफाई कर्मचारियों के कंपनी के आपसी झगड़े नहीं निपट रहे।
-एक महीने से सेक्टर 11-12 में कूड़ा उठाने नहीं आ रहे।
-पहले से सुधार लेकिन अभी और काम की जरूरत है।
-सेक्टर 25 को डंप स्थल बनाया जाना गलत।
समाधान :
-सफाई कर्मचारियों व कंपनी के आपसी विवाद निपटा कर समन्वय बने।
-डंपिग स्थल शहर से बाहर बने। अथवा सीधे कूड़ा प्लांट तक जाए।
-ठोस कूड़ा प्रबंधन की जरूरत है।
-खाली प्लॉटों की चहारदीवारी हो।
-नालियों की सफाई नियमित की जाए।