अब डॉक्टर काटेंगे टिकट, थामेंगे रोडवेज की स्टेयरिंग, ऐसी क्या जरूरत
बेरोजगारी का आलम कहें या फिर जरूरत। तभी तो पीएचडी से लेकर ग्रेजुएट डिग्रीधारी भी कंडक्टर और ड्राइवर की लाइन में लगे हैं। आखिर क्या हो रहा है? जानने के लिए पढि़ए दैनिक जागरण की ये रिपोर्ट।
जेएनएन, पानीपत: बेरोजगारी का आलम यह है कि पीएचडी, एमबीए, पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट डिग्रीधारी भी कंडक्टर और ड्राइवर बनना चाहते हैं। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस कतार में पीएचडी और प्रोफेशनल डिग्रीधारी तमाम बेरोजगार संविदा में नौकरी करने के लिए कतार में लगे हैं। आखिर ऐसा क्या हो रहा है? पढिय़े ये खबर।
महज तीन महीने की अस्थाई कंडक्टर की नौकरी के लिए भी एमए-पीएसडी पास युवक लाइन में धक्के खा रहा है। यह आलम भी तब है जब हड़ताल रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के तुरंत बाद सरकार बिना नोटिस के इन युवाओं को नौकरी से निकाल देगी। यह बात खुद सरकार की ओर से जारी की गई नोटिफिकेशन में भी लिखी गई है। प्रदेशभर के युवाओं के लिए करीब 930 कंडक्टर के पदों पर अस्थाई भर्ती की जा रही है।पानीपत, अंबाला, यमुनानगर, कैथल, जींद, कुरुक्षेत्र, करनाल के लिए करीब 15 हजार से ज्यादा आवेदन अब तक आ चुके हैं। वहीं रोडवेज कर्मचारियों की ओर से आवेदन फार्मों की छंटनी का काम भी साथ-साथ किया जा रहा है और दस्तावेज पूरे नहीं होने पर फार्म रिजेक्ट किए जा रहे हैं।
10 साल पुराने वालों से चलवा रहे बसें
रोडवेज के निजीकरण को रोकने के लिए पिछले आठ दिनों से प्रदेशभर में रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। ऐसे मे रोडवेज बसों के पहिए थमने के कारण सरकार के आदेशानुसार आरटीए की ओर से अस्थाई तौर पर ड्राइवरों की भर्ती की जा रही है। इनमें नियमानुसार जिन चालकों के पास 10 साल पुराने लाइसेंस है उन्हें अस्थाई तौर पर रोडवेज की बसें चलाने के लिए नौकरी पर रखा जा रहा है।
हैरान करने देने वाला सच
आवेदनकर्ताओं ने बताया कि दो-दो विषयों में एमए ही नहीं पीएचडी तक कर चुके हैं। नारायणगढ़ से आए साहिल ने बताया कि वह उन्होंने इतिहास विषय में पीएचडी की हुई है लेकिन अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है। कई साल पहले कंडक्टर का लाइसेंस बनवाया था जो कि अब आवेदन करने के काम आया है। वहीं अनिल कुमार ने बताया कि वह एमए पास है और कंडक्टर के लिए आवेदन किया है। आवेदन फार्म में कंडक्टर के लिए भी 10 साल पुराना लाइसेंस या 8 से 10 साल का अनुभव होने की शर्त भी आड़े आ रही है।
उम्मीद पर टिका भविष्य
वहीं आवेदन करने वाले इन युवाओं का भविष्य केवल इस उम्मीद पर टिका है कि शायद सरकार हड़ताल खत्म होने के बाद भी उन्हें नौकरी से न निकाले। इसी कारण युवा किसी भी तरह से इस नौकरी को पाना चाह रहे है। अंबाला के राकेश ने बताया कि उसने बीटेक किया है और बेरोजगारी के चलते कंडक्टर पद के लिए आवेदन करना पड़ रहा है। उम्मीद है कि चयन हो जाएगा।
उठा रहे मजबूरी का फायदा
रोडवेज कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बेरोजगार लोगों का हजूम बस स्टैंड पर उमड़ पड़ा है। युवाओं की मजबूरी का फोटो स्टेट संचालक भी खूब फायदा उठा रहे हैं। चार पेज का फार्म जिसकी कीमत मात्र चार रुपये है वो 30 रुपये में बेचा जा रहा है। किसी तरह नौकरी लग जाए इस मजबूरी में कोई फार्म की अधिक कीमत का विरोध भी नहीं कर रहा। फार्म जमा करने के लिए बस स्टैंड पर अलग से काउंटर की व्यवस्था की गई है। जहां पर आवेदन करने वालों का धक्का लगा हुआ है।
एमए, बीएससी, बीटेक व एमबीए वाले कर रहे आवेदन
परिचालकों के लिए जो आवेदन मांगे गए हैं उनमें परिचालक पद के लिए कम से कम 10 वर्ष के लाइसेंस का अनुभव होना चाहिए। इसलिए बहुत कम ही युवा ऐसे हैं जिनके पास 10 साल का अनुभव हो। आवेदन करने वाले राहुल, रजनीश, विक्रम, प्रदीप, जगतार ने बताया कि सरकार ने 10 साल के अनुभव की शर्त गलत लगाई है। क्योंकि बहुत कम युवकों के पास ही इतने साल का परिचालक लाइसेंस होगा। जबकि जिन लोगों को बस चलानी है उनके लिए महज तीन वर्ष का अनुभव मांगा गया है। भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं रखी गई है लेकिन इस भर्ती एमए, बीएससी, एमबीए तक कर चुके युवक भी आवेदन कर रहे हैं।