टीबी से डरने नहीं बस इलाज की जरूरत, जानिए क्या हैं लक्षण और उपचार
कैथल में टीबी रोग से करीब छह सौ लोगों को मुक्ति मिल चुकी है। कैथल के पुराना अस्पताल में सीबीनेट लैब में निशुल्क जांच होती है। वर्ष 2018 में शुरू हुई निक्षय पोषण योजना के तहत 50 लाख रुपये विभाग खर्च कर चुका है।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। सरकार की तरफ से टीबी रोग की जांच और इलाज के लिए नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम और निक्षय पोषण योजना शुरू की गई है। जिले में अब तक 600 लोगों को टीबी रोग से मुक्ति मिल चुकी है। 1300 मरीजों का इलाज चल रहा है।
निक्षय पोषण योजना वर्ष 2018 में शुरू हुई थी। इस योजना के तहत अब तक 50 लाख रुपये सरकार मरीजों को दे चुकी है। योजना के अनुसार एक मरीज को प्रति माह 500 रुपये की राशि दी जाती है। दवाई भी निशुल्क मिलती है। चाहे मरीज इलाज सिविल अस्पताल से ले रहा हो या किसी निजी अस्पताल से। छह माह तक चलने वाले इलाज में मरीज को विभाग की तरफ से तीन हजार रुपये दवाई के साथ-साथ अन्य खाद्य पदार्थो के सेवन को लेकर यह राशि दी जाती है।
तीन सालों में अब तक 50 लाख की राशि विभाग मरीजों को दे चुका है। कई मरीज ऐसे हैं जो दो से तीन बार इस राशि को ले चुके हैं, क्योंकि छह माह तक इलाज चलने के बाद विभाग की तरफ से दोबारा मरीज की जांच करवाई जाती है। अगर सैंपल में फिर से टीबी सामने आती है तो फिर से छह माह तक इलाज शुरू किया जाता है। इस तरह से फिर से उक्त मरीज को 500 रुपये प्रति माह राशि के रूप में तीन हजार रुपये दिए जाते हैं।
यहां होती है बलगम की जांच
विभाग की तरफ से जिले में टीबी बीमारी की जांच को लेकर 11 (डीएमसी) बलगम जांच केंद्र बनाए गए हैं। इनमें जिला नागरिक अस्पताल, पुराना सिविल अस्पताल, सीवन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गुहला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, कौल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित पूंडरी,कलायत, राजौंद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को शामिल किया गया है। तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इनमें खरकां, पाई और बालू शामिल है। यहां भी टीबी मरीजों की जांच होती है। इसके अलावा पुराना सिविल अस्पताल में सीबीनेट लैब भी बनाई गई है। पुराना अस्पताल में टीबी के आने वाले मरीजों की जांच के लिए सैंपल भी यहीं भेजा जाता है।
ये है टीबी के लक्षण
-दो सप्ताह से ज्यादा खांसी होना।
शाम के समय बुखार होना।
खांसते समय बलगम में खून आना।
छाती में दर्द होना और सांस फूलना।
गर्दन या बगल में गांठ होना।
भूख और वजन कम लगना।
ये बरते सावधानी
-खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखें।
कपड़ा, रूमाल न होने पर खांसते समय अपना मुंह कोहनी से ढके।
उपयोग किया हुआ कपड़ा कूड़ेदान में डाल दें।
-अपने हाथों की अच्छी तरह से सफाई रखें।
टीबी रोग के नोडल अधिकारी एसएमओ डा. राजीव बातिश ने बताया कि टीबी रोग को लेकर विभाग की तरफ से निशुल्क जांच और इलाज की सुविधा है। मरीज को निशुल्क दवाई के साथ-साथ 500 रुपये की राशि भी दी जा रही है। जिले में 600 के करीब मरीज टीबी से ठीक हो चुके हैं। 1300 के करीब मरीजों का इलाज चल रहा है।
पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
ये भी पढ़ें: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल: ऐसी दरगाह जहां हिंदू धर्म से हैं पुजारी, पूजा इस्लाम धर्म से होती
ये भी पढ़ें: इन प्रोफेसर साहब को लोग कहते ग्रीनमैन, इनका अलग अंदाज, मुहिम के सब मुरीद