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डोरेमोन-नोबिता की तरह चाइल्ड लाइन से करो दोस्ती

चाइल्ड लाइन नंबर 1098 से दोस्ती करें। जागरूकता के लिए 14 से 20 नवंबर तक विशेष सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को ह्यूमाना एक्शन अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट के संभावना स्कूल में ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इसमें 23 बच्चों ने हिस्सा लिया और कार्टून चरित्र डोरेमोन-नोबिता की दोस्ती को थीम बनाया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 07:50 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 07:50 AM (IST)
डोरेमोन-नोबिता की तरह चाइल्ड लाइन से करो दोस्ती
डोरेमोन-नोबिता की तरह चाइल्ड लाइन से करो दोस्ती

जागरण संवाददाता, पानीपत : चाइल्ड लाइन नंबर 1098 से दोस्ती करें। जागरूकता के लिए 14 से 20 नवंबर तक विशेष सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को ह्यूमाना एक्शन अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट के संभावना स्कूल में ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इसमें 23 बच्चों ने हिस्सा लिया और कार्टून चरित्र डोरेमोन-नोबिता की दोस्ती को थीम बनाया।

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मुख्य अतिथि बाल कल्याण समिति के सदस्य डा. मुकेश आर्य ने पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि अच्छा रहन-सहन, चिकित्सा-शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। किसी बच्चे का शारीरिक-मानसिक, आर्थिक-सामाजिक शोषण होता देखें तो चाइल्ड लाइन नंबर 1098 पर काल कर सूचना दें। बचाव टीम तुरंत सक्रिय हो जाती है। बाल कल्याण समिति, जिला प्रशासन और पुलिस को भी ऐसे मामलों की जानकारी दी जा सकती है। चाइल्ड लाइन दोस्ती बैनर पर सभी ने हस्ताक्षर भी किए।

कार्यक्रम का समापन 20 नवंबर को आर्य पीजी कालेज में होगा। विजेता बच्चों को पुरस्कार भी दिए जाएंगे। इस मौके पर चाइल्ड लाइन को-आर्डिनेटर पूजा मलिक, राजा मराडी, दीपक बुमरा, सीमा, रविदर, सुधा झा, प्रदीप गुर्जर, सतपाल, मोहित, अंकित, रोहित, दिनेश आदि उपस्थित रहे। 13 माह में 455 केसों में पहुंचाई मदद

को-आर्डिनेटर ने बताया कि रेडक्रास बिल्डिग में सेंटर की स्थापना 11 सितंबर-2019 को हुई थी। अब तक लगभग 455 बच्चों को मदद पहुंचाई गई है। इस तरह के बच्चों की होती मदद :

- यदि कोई बच्चा अकेला-बीमार हो, इलाज के लिए पैसे न हो।

- किसी बच्चे का घर, स्कूल या अन्य स्थान पर शोषण।

- कोई खोया हुआ बच्चा आपको मिले।

- किसी बच्चे को भावनात्मक मार्गदर्शन और सहारे की जरूरत हो।

- बाल श्रम में फंसा बच्चा अपने घर जाना चाहता हो।

- किसी बच्चे के साथ दुर्घटना हो जाए।

- दुष्कर्म, कुकर्म, शारीरिक छेड़छाड़ जैसे मामले।

- बाल विवाह के मामले। चौबीसों घंटे सक्रियता :

सेंटर दिन-रात खुला रहता है। किसी बच्चे के शोषण संबंधी शिकायत मिलने पर टीम सदस्य पुलिस की मदद लेते हैं। सामान्य मामलों में काउंसलिग कर, समाधान का प्रयास रहता है।


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