फिर दुनिया में बदनाम हुआ Haryana का जिला Jind, विकास की दौड़ में यहां सांस भी मुश्किल
दुनिया का 17वां सबसे प्रदूषित शहर हरियाणा का जिला जींद है। पिछली बार 20वें स्थान पर था। जिले में चल रहे विकास कार्य को इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा है।
पानीपत, जेएनएन। एक बार फिर जींद दुनिया के सबसे प्रदूषण शहरों में शामिल हो गया है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट के अनुसार सालभर 2019 में दुनियाभर में 17वां सबसे प्रदूषित शहर जींद है। पिछली बार 20वां स्थान था। शहर में प्रदूषण के सबसे अहम कारण एक साथ कई परियोजनाओं का निर्माण कार्य चलने, शहर में दौड़ रहे हजारों आटो हैं। वहीं अमृत प्लान के तहत पाइप लाइन व सीवर लाइन दबाने के लिए शहर के ज्यादातर मार्गों व गलियों को उखाड़ा हुआ है। नवंबर में हालात सबसे ज्यादा खराब थे।
हवा में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होने से दम घुटने लगा था। पीएम 2.5 का स्तर 500 के पार चला गया था। एनजीटी के निर्देश पर शहर में जारी विकास कार्यों पर रुकवाना पड़ा था। वहीं भट्ठे पर भी रोक लगाई गई थी। इस समय की बात करें, तो हालात ज्यादा अच्छे नहीं हैं। मंगलवार को जींद का पीएम 2.5 अधिकतम 270 और औसतन 172 रहा। जबकि स्वास्थ्य के लिए शून्य से 50 तक पीएम 2.5 बढिय़ा माना जाता है और 51 से 100 संतोषजनक की श्रेणी में आता है।
साल 2019 में शहर की हवा की गुणवत्ता
--एक दिसंबर को पीएम 2.5 अधिकतम 327 और औसतन 224 रहा।
--एक नवंबर को पीएम 2.5 अधिकतम 500 और औसतन 479 रहा।
--15 नवंबर को पीएम 2.5 अधिकतम 500 और औसतन 400 रहा।
इसलिए प्रदूषित हो रहा शहर
कारण 1 : नगर परिषद पुराना हांसी रोड पर खाली पड़ी 12 एकड़ जमीन में शहर का कूड़ा डालती है। पहाडऩुमा इस कूड़े के ढेर में अकसर आग लगी रहती है। आग लगने से आसपास की कॉलोनियों के ऊपर धुएं के बादल छा जाते हैं। कूड़े में पड़ी पॉलीथिन जलने से जहरीला धुआं निकलता है।
कारण 2 : शहर में अमरूत योजना के तहत बरसाती पानी की निकासी के लिए पाइप दबाई जा रही हैं। जिसके लिए कुल 27 किलोमीटर लंबी सड़कों को उखाड़ा गया। दोबारा सड़क ना बनने के कारण धूल उड़ रही है। वहीं वाहन भी इन मार्गों से रास्ता खराब होने के कारण रेंग कर चलते हैं। जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है।
कारण 3 : नगर परिषद के साथ-साथ नगर परिषद भी शहर में सीवर लाइन डाल रही है। जिसके लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने भी 25 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कों को उखाड़ा हुआ है। रोहतक रोड समेत कई जगहों पर रास्ता बाधित होने से जाम की स्थिति बनी रहती है।
कारण 4 : पुराना हांसी रोड, भिवानी रोड बाईपास, रोहतक रोड बाईपास जेल के सामने, पिंडारा रेलवे फाटक पर आरओबी का निर्माण कार्य चल रहा है। एक साथ चार आरओबी का निर्माण चलने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। अगर ये निर्माण कार्य नियमित अंतराल में निर्धारित समय में पूरे होते, तो हालात ठीक होते।
कारण 5 : शहर में करीब ढाई हजार ऑटो दौड़ रहे हैं। रेलवे जंक्शन से लेकर बस स्टैंड तक दिनभर आटो की लाइन लगी रहती है। खटारा आटो का धुआं शहर की आबो-हवा में जहर घोल रहा है। एनसीआर क्षेत्र में शामिल जींद में इलेक्ट्रिक व सीएनजी के आटो चलने चाहिएं। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।
कारण 6 : अनूपगढ़ से दातांसिंह वाला तक फोरलेनिंग हाइवे के निर्माण व अनूपगढ़ से रोहतक तक फोरलेनिंग के लिए हजारों पेड़ों की कटाई हुई। पिछले पांच साल में जिले में करीब एक पेड़ों पर विकास के नाम पर आरी चली। काटे गए पेड़ों की जगह लगाए नए पौधे के पेड़ बनने में सालों लग जाते हैं।
अंतिम दौर में है काम
''अमरुत योजना का काम अंतिम दौर में चल रहा है। मिनी बाईपास और सफीदों रोड पर पाइप दबाने का काम पूरा हो चुका है। इन सड़कों को बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी को पेमेंट भी दी जा चुकी है। पीडब्ल्यूडी इन सड़कों को अब बना सकती है। बाकी सड़कों पर भी पाइप लाइन दबा कर जल्द काम पूरा किया जाएगा।
- पूनम सैनी, प्रधान, नगर परिषद, जींद।
प्लानिंग के तहत हो काम
''दुनिया के प्रदूषित शहरों में नाम आने से जींद की छवि धूमिल हो रही है। विकास कार्य भी जरूरी हैं। लेकिन प्लानिंग के तहत कार्य होने चाहिएं। शहर में चार रेलवे फाटकों पर अलग-अलग समय में आरओबी का निर्माण होना चाहिए था।
- मोनू, रोहतक रोड, जींद।
सांस लेना मुश्किल
''काफी समय से विभाग ने सड़क को उखाड़ा हुआ है। रोहतक रोड पर भारी वाहनों का आवागमन ज्यादा है। जिससे धूल उड़ती रहती है। दुकानों के अंदर धूल आने से सांस लेना मुश्किल हो रहा है।
- आशु, दुकानदार, जींद।