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बातों बातों में: बड़े अिधिकारियों की सुनते नहीं, ऐसे हैं इस विभाग के अधिकारी Panipat News

कैथल शि‍क्षा विभाग में इन दिनों एक अधिकारी की चर्चा जोरों पर है। बड़े अधिकारियों की बात को अनसुना करना उनका बड़प्‍पन है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 04:47 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 04:47 PM (IST)
बातों बातों में: बड़े अिधिकारियों की सुनते नहीं, ऐसे हैं इस विभाग के अधिकारी Panipat News
बातों बातों में: बड़े अिधिकारियों की सुनते नहीं, ऐसे हैं इस विभाग के अधिकारी Panipat News

कैथल, [कमल बहल]। शिक्षा विभाग पर देश के भविष्य की पौध तैयार करने का बड़ा जिम्मा है। इसके लिए सरकार की ओर से योजनाएं चलाकर प्रशिक्षण देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। विभाग में एक बड़े अधिकारी है, वह इतने बड़े हैं कि उन्हें अपनों से बड़े स्तर के अधिकारियों की बात को अनसुना करना अपना बड़प्पन लगता है। साहब, काफी भागदौड़ कर अपने कार्यक्षेत्र में तो काफी अच्छा करने का प्रयास करते हैं, लेकिन अक्सर ऐन मौके पर पिछड़ जाते है। विभाग के इस अधिकारी के पास फरमाइश आ जाए तो यह अपनी ईमानदारी की ढफली बजाते है। बाद में जब कोई छोटा कर्मचारी इनके पास आए तो ये उन्हें अपना बनाते हैं। साहब की लोकप्रियता इतनी है कि वे अपने साथ दो से तीन चेले हमेशा रखते है, जो उनके साथ सुबह से लेकर शाम तक रहते है। उसके बावजूद विभाग में तो उनसे बड़े साहब की चलती है। जब उन चेलों को बड़े साहब के पास ही मजबूर होकर जाना पड़ता है, वह और करे भी क्या?

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ईमानदारी का फलसफा झाड़ना ही आदत

बिजली निगम में एक बड़े अधिकारी हैं, यह अधिकारी बैठकों का दौर जारी रख, अपने से छोटे कर्मचारियों को ईमानदारी से काम करने की हिदायत भी देते हैं। हिदायतें काफी अच्छी भी होती है। जब कोई बड़ा अधिकारी विभाग के कार्यालय में आ जाए तो ये बड़े साहब कार्यालय से नदारद रहते हैं। साहब की यह आदत कभी कभी उन पर ही भारी पड़ती रही है, मगर उनके कदम न रूके हैं और न ही रूकते दिखते हैं। विभाग भी ऐसा है कि यहां पर फरियादों की भरमार भी काफी रहती है। साहब के पास विभाग का बड़ा जिम्मा है, लेकिन साहब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर फरियादों के काम को पूरा करने में साफ मना कर देते हैं। साहब कहते हैं सरकार का कड़ा रुख, समस्या का समाधान नहीं करवा सकते हैं। अब बेचारे फरियादी भी क्या करें, जब उनकी कोई सुनता ही नहीं।

मेहनत तो साहब करते हैं, बस फल नहीं मिलता

जन स्वास्थ्य विभाग में लोगों को जागरूकता का जिम्मा एक छोटे साहब को दिया है। साहब, अपने काम में जी तोड़ मेहनत करके लगातार विभाग को घाटे से उभारने में लगे है, लेकिन साहब की एक कमी तो है, वह विभाग के साथ जनता में विख्यात होना चाहते हैं। उन्हें बस अपने काम ही फिर है, उनके पास कोई फरियाद लेकर आए या मिलने चला जाए तो वे अपने काम के तारीफों के पुल बांधने से पीछे नहीं हटते है। सच्चाई तो यह है कि ये छोटे साहब आला अधिकारियों के सामने भी खूब चर्चा में रहना चाहते है। इनकी यह आदत कभी कभी भारी भी पड़ती है। साहब से पूछ लिया जाए तो साहब कहते हैं कै करें यो सरकार न डिगन देंदी। इसकै तो झमेले ही घने अलबैले हैं। एक तो साहब खूब चर्चा में रहणा चाहते हैं, उसके बावजूद कौसना नहीं भूलते।


डर लगने से पलट दी अपनी बात

सरकार की घोषणा के पांच वर्ष होने के बावजूद भी बड़ा शिक्षण संस्थान नहीं बन पाया है। शिक्षण संस्थान भी ऐसा कि पूरे प्रदेश में इसकी प्रसिद्धि इसके निर्माण से पहले ही हो गई। संस्थान का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही इसकी भूमि पर कुछ विवाद है। इसलिए साहब लगातार अपनी गोटिया फिट करने पर लगे है, बड़े नेताओं को मंत्रियों के कार्यालयों में जाकर भवन निर्माण को लेकर लगातार प्रयास में लगे है, लेकिन विवाद के चलते उनकी दाल नहीं गल रही है। विवाद का जब ग्रामीणों को पता चला तो साहब डर गए और उन्होंने अपनी बात को पलटने में एक मिनट भी नहीं लगाया। अब तो साहब बस यही कहने के से पीदे नहीं हट रहे सरकारी काम में समय तो लगता है, थोड़ा समय तो लगता है, अभी इंतजार कीजिए जल्द ही निर्माण कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।


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