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डा. पीके गोस्वामी ने कहा, चरक संहिता में कोविड जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने का जिक्र

श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय की ओर से महर्षि चरक जयंती पर वेबिनार हुआ। इसमें डा. पीके गोस्वामी ने कहा चरक स‍ंहिता में कोविड का जिक्र है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 01:59 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 01:59 PM (IST)
डा. पीके गोस्वामी ने कहा, चरक संहिता में कोविड जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने का जिक्र
डा. पीके गोस्वामी ने कहा, चरक संहिता में कोविड जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने का जिक्र

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। कोविड महामारी से जहां पूरी दुनिया परेशानी में है। वहीं, इस कोविड जैसी बीमारियों की जानकारी चरक संहिता में भी है। मेघालय पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान के निदेशक डा. पीके गोस्वामी ने कहा है कि महर्षि चरक ने अपनी संहिता में कोविड-19 जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने का जिक्र है। इसलिए चरक संहिता ऐसा एक संपूर्ण ग्रंथ है जो मानव जीवन को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने में सहायक है। 

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डा. गोस्वामी शुक्रवार को श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय की ओर से महर्षि चरक जयंती पर आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि चरक संहिता में मनुष्य के आचार, विचार और व्यवहार संबंधी भी विस्तृत उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही दवाओं और पाक शास्त्र के विषय में चरक संहिता का कोई तोड़ नहीं है। 

घरों में खाने के निर्माण से लेकर बीमारी की अवस्था में कौन सी दवाएं उपयुक्त हैं। उत्तराखंड स्थित देहरादून आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सुनील कुमार जोशी ने कहा कि उत्तराखंड के चरक अरण्य में महर्षि की जन्मस्थली बताई जाती है। उसी स्थान पर उन्होंने चरक संहिता व अन्य संहिताओं का निर्माण किया।  

श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बलदेव कुमार ने कहा कि हरियाणा के नारनौल की पहाडिय़ों में महर्षि चवन का एक प्राचीन स्थल है। जहां प्राचीन काल में महर्षि चवन तथा अश्विनी कुमारों ने ऐसी औषधि निर्माण का दावा किया है। इन स्थानों पर आज भी स्थानीय लोग मेले लगाते है। विश्वविद्यालय की एक टीम भेजने पर विचार किया जा रहा है। 

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि बंगलुरु के आयुर्वेद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डा. रघुराम भट्ट ने कहा कि संहिताओं के ज्ञान के लिए संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक है। श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ देवेंद्र खुराना, डा. प्रेमचंद मंगल ने सभी गतिविधियों के विस्तृत जानकारी दी और संचालन डा. मनीषा खत्री ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी कृष्ण कुमार, ओएसडी डा. राजेंद्र चौधरी, डा. सचिन, डा. रणधीर सिंह और योग शिक्षक योगेंद्र कुमार मौजूद रहे। 

सिमरन ने प्रथम स्थान पाया 

वेबिनार के साथ विश्वविद्यालय स्तर पर श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता भी कराई गई। इसमें श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की सिमरन ने प्रथम, जींद के गौड़ ब्राह्मण आयुर्वेदिक महाविद्यालय के अनिरुद्ध ने दूसरा और रोहतक के बाबा मस्तनाथ आयुर्वेदिक कालेज के खुशवंत सिंह ने तीसरा स्थान हासिल किया।

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