लड़कियों की मां बनने की उम्र बढ़ाई तो लागू करना मुश्किल
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान लड़की की मां बनने की उम्र बढ़ाने की बात भी कही। यह बात महिलाओं का रास नहंी आई। इस पर महिलाओं ने अपनी राय रखी।
जागरण संवाददाता, पानीपत : केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। उन्होंने लड़की की मां बनने की उम्र बढ़ाने की बात भी कही। संकेत है कि लड़की की शादी की आयु 18 से बढ़ाकर 21 की जा सकती है। बच्चों और महिला हित में काम करने वाली एजेंसियों को यह हजम नहीं हो रही है।
बाल कल्याण समिति, पानीपत की चेयरपर्सन एडवोकेट पदमा रानी ने कहा कि देश में एक बहुत बड़ी लॉबी लड़की की शादी की आयु 18 वर्ष से घटाकर 16 करने की मांग कर रही है। सोशल मीडिया पर इस तरह की मुहिम देखने को मिल जाएगी। वातावरण, खानपान और रहन-सहन में बदलाव के कारण लड़कियां शारीरिक-मानसिक रूप से जल्द मैच्योर हो रही हैं। घर से भागकर, प्रेमी संग विवाह रचाने वाली 80 फीसद लड़कियों की आयु 15 से 17 वर्ष के बीच होती है। यदि उम्र बढ़ाई गई तो ऐसे केसों में एकाएक वृद्धि होगी।
चेयरपर्सन के मुताबिक लड़कियां अधिक उच्च शिक्षित होंगी, इस विचारधारा से शादी की आयु वृद्धि समाज हित में नहीं होगा। समाज में जिस तरह का माहौल है, अभिभावकों की चिता बढ़ जाएगी। केवल मां बनने की उम्र बढ़ायी तो उसे लागू करना बहुत मुश्किल होगा। कोट :
चाइल्ड मैरिज रुकवाने, चोरी-छिपे नाबालिग बच्चों का विवाह कर देने के जिस तरह समाज में मामले सामने आ रहे हैं, उन्हें देखें तो आयु वृद्धि ठीक नहीं होगी। अभिभावकों को बेटियों की सुरक्षा अधिक सताएगी।
रजनी गुप्ता, जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी कोट :
शादी के लिए लड़के की आयु 21 वर्ष, लड़की की 18 वर्ष पूरी तरह ठीक है। लड़की 18 साल की आयु में मां बनने की जिम्मेदारी उठा सकती है। शारीरिक रूप से कमजोर है तो आयु 25 भी हो, उसके लिए खतरा ही रहेगा।
डॉ. अंजलि बंसल, अध्यक्ष, आइएमए हरियाणा, महिला विग