देवउठनी एकादशी 25 को, मांगलिक कार्यों का होगा शुभारंभ, जानें क्या है खास
डा. कौशिक ने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद मांगलिक कार्य होते हैं।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन : कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठ जाएंगे। इसको देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।
गायत्री ज्योतिष के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और उनसे जागने का आह्वान किया जाता है।
इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं
- इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
- घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए।
- एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए।
- इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाने चाहिए।
- रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए।
- इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए।
- ये वाक्य दोहराना चाहिए
उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये
एकादशी तिथि का प्रारंभ होगा
- 25 नवंबर बुधवार सुबह 2 बजकर 42 मिनट से
एकादशी तिथि की समाप्ति होगी
- 26 नवंबर 2020 गुरुवार सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर
दो महीने शादी के छह शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 25, 27, 30 नवंबर,7, 9, 10 दिसम्बर में खूब शहनाई बजेंगी।
अगले साल खूब बजेंगी शहनाइयां
अगले साल 14 जनवरी मकर संक्रांति और 16 फरवरी को बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त है। अगला वर्ष शुरू होते ही 17 जनवरी को तारा डूब जाएगा और मंगलीक कार्य फिर बंद हो जाएंगे। फिर 24 अप्रैल से विवाह के मुहूर्त हैं। फिर दिसंबर तक हर महीने विवाह के खूब मुहूर्त हैं।