नाम पट्टीकल्याणा, कल्याण के नाम पर कुछ नहीं
जागरण संवाददाता, समालखा जीटी रोड पर स्थित खंड के गुर्जर बहुल पंट्टीकल्याणा में विनोबा भावे भी भूद
जागरण संवाददाता, समालखा
जीटी रोड पर स्थित खंड के गुर्जर बहुल पंट्टीकल्याणा में विनोबा भावे भी भूदान आंदोलन के समय आकर तीन दिन रुके थे। त्रिखा दंपती और भावे के प्रयास से गांधीवादी विचार धाराओं के प्रचार के लिए यहां गांधी स्वाध्याय आश्रम की स्थापना की गई थी, जहां से आज भी गांधीजी के विचारों का संदेश लोगों को दिया जा रहा है। सूबे के वित्त मंत्री रहे कटार सिंह छौक्कर भी इसी गांव से थे। गांधी विचारधारा की कर्मस्थली और मंत्री का गांव होने के बावजूद इसका उतना विकास नहीं हो सका, जितना होना चाहिए था। आज भी गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। गंदे पानी की निकासी व्यवस्था और सफाई गांव की मूल समस्याओं में एक है।
गांव का इतिहास-मुगलकाल में पंट्टी और कल्याणा दो अलग-अलग भाग थे। पंट्टी में जहां मुस्लिम लोग रहते थे, वहीं कल्याणा ¨हदुओं की बस्ती थी। आजादी के बाद दोनों से मिलकर पंट्टीकल्याणा बना। करीब 750 साल पुराने इस गांव में 1950 से ही मध्य विद्यालय है, जो 1954 में हाई स्कूल बन गया। अब तो गांव सीसे स्कूल बन चुका है। गांव में कन्या स्कूल भी है। पुजारी रामनिवास कहते हैं कि करीब 130 साल पहले संत जयराम ने यहां लक्ष्मी नारायण मंदिर बनाया था, जो अब भी पुरानी शिल्पकारी का नमूना है। लोग उसमें पूजा अर्चना कर रहे हैं। गांव में श्रृंगी ऋषि का तालाब है, जिसे लोग सिंघरा तालाब के नाम से जानते हैं। लोग कहते हैं कि विनोबा भावे से मिलने गांधी आश्रम में पूर्व प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी आ चुके हैं। गांव में बाबा केवल शाह की समाधि है। बाबा पर आस्था होने से देश के हर कोने से लोग झंडा महोत्सव में भाग लेने यहां आते ह ं।
शिक्षा व खेल में अव्वल-युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष संजय छौक्कर सहित आइएएस धनश्याम गोयल भी इसी गांव से हैं। गांव में इंजीनियर, ब्रिगेडियर व मेजर जनरल भी हैं। शिक्षण संस्थान के अलावा गांव में पीएचसी है। प्रो कबड्डी खिलाड़ी मनोज भी यहीं के हैं। गांव के कबड्डी और कुश्ती खिलाड़ी प्रदेश ही नहीं, देश में अपना नाम रोशन कर चुके हैं। फिर भी उनके अभ्यास के लिए गांव में सुविधा की घोर कमी है। स्टेडियम व अधूरे व्यायामशाला के कारण युवा स्कूल के मैदान में सुबह-शाम अभ्यास करते हैं।
गांव की सबसे बड़ी समस्या
पंट्टीकल्याणा की आबादी 14 हजार के करीब है। यहां 65 सौ वोटर हैं। गांव में चार पंचायती तालाब हैं, जो गंदे पानी से अटे पड़े हैं। सफाई के अभाव में अब गंदा पानी उनमें नहीं जाता है। वह रास्तों पर जमा रहता है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। ग्रामीण यशपाल छौक्कर, मुकेश चौहान, मन्नु राम, हरिओम शर्मा, विकास कहते हैं कि गंदे तालाबों की सफाई जरूरी है। सरकारी ग्रांट के अभाव में इनकी सफाई नहीं हो रही है। 14 हजार की आबादी पर गांव में चार सफाई कर्मी हैं, जिनसे नियमित गलियों, सड़कों व नालियों की सफाई नहीं हो पाती है। गांव में कचरा फेंकने की जगह भी पास में नहीं है। खेल सुविधा नहीं होने से बच्चे खुले आसमान के नीचे अभ्यास करते हैं। ग्रामीणों के चंदे व समाजसेवियों के सहयोग से खिलाड़ियों को खेल का सामान मुहैया कराया जा रहा है। पूर्व सरपंच तेजपाल कहते हैं कि ग्रांट की कमी और पंचायत के पास आमदनी नहीं होने से गांव का विकास कुंठित हो रहा है।
क्या कहते हैं सरपंच
सरपंच निशा और उनके पति अनिल छौक्कर कहते हैं कि एमएलए की ग्रांट से 13 गलियों का निर्माण करवाया गया है। श्मशान, पंचायत घर, बस अड्डा, व्यायामशाला के लिए प्रस्ताव पास कर सरकार से ग्रांट की मांग की गई है। अभी भी गांव में दर्जन के करीब गलियों का निर्माण होना शेष है। ग्रांट के कारण गंदे जोहड़ों की सफाई नहीं हो रही है। पंचायत को दस सफाई कर्मी की जरूरत है। सरकारी व निजी नलकूपों के चलते रहने से गंदे तालाबों में ओवरफ्लो की समस्या रहती है। लोहे के बिजली खंभे और जर्जर तारों से भी लोग परेशान हैं। गांव में छह सरकारी नलकूप हैं, फिर भी निजी सबमर्सिबल की भरमार है।