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निश्चय से नहीं जुड़े दवा विक्रेता, कम चिह्नित हो रहे हैं टीबी रोगी

जिले में करीब 600 खुदरा दवा दुकानदार हैं। लगभग 85 डॉक्टर टीबी रोगियों का इलाज करते हैं। अधिकांश दवा विक्रेता निश्चय पोर्टल से नहीं जुड़े हैं। डॉक्टर इससे जुड़ तो चुके हैं लेकिन 50 फीसद टीबी रोगियों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड नहीं कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 07:59 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 07:59 AM (IST)
निश्चय से नहीं जुड़े दवा विक्रेता, कम चिह्नित हो रहे हैं टीबी रोगी
निश्चय से नहीं जुड़े दवा विक्रेता, कम चिह्नित हो रहे हैं टीबी रोगी

जागरण संवाददाता, पानीपत : जिले में करीब 600 खुदरा दवा दुकानदार हैं। लगभग 85 डॉक्टर टीबी रोगियों का इलाज करते हैं। अधिकांश दवा विक्रेता निश्चय पोर्टल से नहीं जुड़े हैं। डॉक्टर इससे जुड़ तो चुके हैं, लेकिन 50 फीसद टीबी रोगियों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड नहीं कर रहे हैं। नतीजा, टीबी के रोगियों की ऑनलाइन मॉनिटरिग और नए रोगियों को चिह्नित करने में स्वास्थ्य विभाग को पसीने छूट रहे हैं।

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गौरतलब है कि क्षय रोग यानि टीबी पर प्रभावी नियंत्रण और उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार ने निश्चय पोर्टल योजना लागू की है। इसका उदेश्य टीबी रोगियों की ऑनलाइन मॉनिटरिग करना है। योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग, दवा विक्रेता और रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को हर रोगी की पूरी डिटेल पोर्टल पर अपलोड करनी है। पानीपत के डॉक्टर महज 10 फीसद रूटीन में जानकारी देते हैं। 40 फीसद कभी-कभी डिटेल देते हैं, बाकी डॉक्टर किनारा किए हुए हैं। जिले में एक-दो दवा विक्रेताओं को छोड़ दें तो अधिकांश दुकानदार मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को नहीं दे रहे हैं।

सख्ती से कतराते अफसर

यह स्थिति तब है जब जानकारी न देने पर सजा और जुर्माना का भी प्रावधान है। स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर मीटिग बुलाकर प्राइवेट डॉक्टरों और दवा दुकानदारों को जागरूक तो करता है, लेकिन सख्ती करने से अधिकारी कतराते हैं।

दो साल की सजा का प्रावधान

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की हुई है। इसके मुताबिक टीबी रोगियों की संख्या छिपाने और डाटा स्वास्थ्य विभाग को नहीं देने वाले निजी चिकित्सकों को अब 6 माह से 2 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है।

एक साल में बढ़े 500 मरीज

औद्योगिक शहर होने के कारण प्रदूषण, जगह-जगह पसरी गंदगी और बाहरी आबादी अधिक होने के कारण जिले में टीबी रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वित्तीय वर्ष 2017-18 करीब 2357 मरीज दवा ले रहे थे। इस वित्तीय वर्ष में संख्या बढ़कर 2800 तक पहुंच गई है। इनमें 35 मरीज मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) से पीड़ित हैं।

कल बुलाई आइएमए की बैठक

क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. मुनेश कुमार गोयल ने बताया कि 25 मार्च को होटल गोल्ड में आइएमए से जुड़े डॉक्टरों की बैठक बुलाई गई है। इसमें रोगियों के डिटेल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जाएंगे। इससे पहले सेक्टर 25 स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र में उन आशा वर्कर्स को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने रोगियों को प्रेरित करते हुए अच्छा काम किया है।

जिले में इलाज की व्यवस्था

01 जिला क्षय केंद्र

06 टीबी यूनिट (जांच व दवा)

12 माइक्रोस्कोपिक केंद्र (जांच केंद्र)

175 गांवों में ट्रीटमेंट सुपरवाइजर टीबी रोग के लक्षण

-दो हफ्ते से अधिक हो रही खांसी।

-शाम को बुखार आना।

-सीने में दर्द की शिकायत होना।

-भूख न लगना।

-बलगम के साथ खून आना।

-करीब 10 फीसद तक वजन घटना।

-बार-बार हांफना।

-एमडीआर मरीजों को दर्द व सूजन। ये बरतें सावधानी

-धूम्रपान व शराब का सेवन न करें।

-धूल व धुएं वाले वातावरण से बचें।

-रोग होने पर मुंह को रुमाल से ढकें।

-खांसते-छींकते समय मुंह व नाक को ढकें।

-8-9 माह तक इलाज कराएं।

-पौष्टिक भोजन करें।


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