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डेंगू-मलेरिया के मरीजों को सरकारी इलाज पर भरोसा नहीं

वर्ष 2016 से 2018 तक के आंकड़े जब सामने आए तो इसका राज उजागर हुआ। इन वर्षो में मलेरिया के 198 और डेंगू के 614 मरीज पॉजिटिव आए हैं। सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि इन तीन वर्षो में सिविल अस्पताल के मलेरिया-डेंगू और इमरजेंसी वार्ड में एक भी मरीज न तो एडमिट हुआ और न यहां से रेफर किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 07:41 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 07:41 AM (IST)
डेंगू-मलेरिया के मरीजों को सरकारी इलाज पर भरोसा नहीं
डेंगू-मलेरिया के मरीजों को सरकारी इलाज पर भरोसा नहीं

जागरण संवाददाता, पानीपत : स्वास्थ्य विभाग जिले में मलेरिया-डेंगू के आंकड़ों को छिपा रहा है। वर्ष 2016 से 2018 तक के आंकड़े जब सामने आए तो इसका राज उजागर हुआ। इन वर्षो में मलेरिया के 198 और डेंगू के 614 मरीज पॉजिटिव आए हैं। सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि इन तीन वर्षो में सिविल अस्पताल के मलेरिया-डेंगू और इमरजेंसी वार्ड में एक भी मरीज न तो एडमिट हुआ और न यहां से रेफर किया गया। सीधा अर्थ, मरीजों ने सरकारी इलाज पर कम भरोसा किया है।

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सिविल सर्जन कार्यालय से मांगी गई आरटीआइ में जानकारी मिली कि वर्ष 2016 में मलेरिया के 127, 2017 में 37 और 2018 में कुल 34 मरीज पॉजिटिव आए। डेंगू के क्रमश: 12, 469 और 133 मरीज पॉजिटिव आए। इसी कड़ी में सिविल अस्पताल प्रशासन ने जानकारी दी कि इन तीन वर्षों की अवधि में एक भी मरीज न तो एडमिट रहा और न ही उच्च इलाज के लिए रेफर किया गया। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने इन तीन वर्षों के दौरान दोनों बीमारियों से किसी मरीज की मौत होने से इंकार किया है।

प्राइवेट अस्पताल मरीजों का डाटा स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध नहीं कराते, आरटीआइ में इसकी भी जानकारी दी गई है। बता दें कि वर्ष 2017 में डेंगू के सबसे अधिक 469 केस सामने आए। मलेरिया के आंकड़े

वर्ष संदिग्ध केस पॉजिटिव केस

2016 1,41,583 127

2017 1,19,211 37

2018 99,394 34 डेंगू के आंकड़े

वर्ष संदिग्ध केस पॉजिटिव केस

2016 60 12

2017 786 469

2018 300 133 मानकों के अनुसार नहीं फॉगिग मशीन

दरअसल, मलेरिया और डेंगू न पनपे इसके लिए प्लॉनिग अनुसार फॉगिग जरूरी है। इसका जिम्मा नगर निगम, जिला परिषद और ग्राम पंचायतों का है। जिले में कुल 178 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से लगभग 20 ग्राम पंचायत ही मशीनें खरीद सकी हैं। जिला परिषद के 17 वार्ड हैं, इनमें से 2 वार्डों के पास अपनी मशीनें नहीं हैं। नगर निगम क्षेत्र में 26 वार्ड हैं जबकि मशीनें 12 हैं। नियम यह है कि हर वार्ड में 1 मशीन होना जरूरी है।


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