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शराब से बर्बादी की कहानियां, अनाथ हो गए बच्‍चे, दरवाजे पर निगाह, शायद लौट आएं पापा

पानीपत में जहरीली शराब ने छिन लिए घर के सहारे। एक कहानी तो ऐसी जिसमें केवल दादी और बच्‍चे ही रह गए। दादी भी नेत्रहीन। गांव के लोग सांत्‍वना देने पहुंचे तो उनके भी आंसू छलक आए। पढ़ें दैनिक जागरण की ये विशेष खबर।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 12:39 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 12:39 PM (IST)
शराब से बर्बादी की कहानियां, अनाथ हो गए बच्‍चे, दरवाजे पर निगाह, शायद लौट आएं पापा
अनाथ हो गए तीन बच्‍चे। दादी कैसे संभालेगी।

पानीपत [उमेश], जेएनएन - जहरीली शराब ने परिवार को तोड़कर रख दिया है। किसी घर ने इकलौता बेटा खोया है तो किसी ने अपने जीवन का पूरा सहारा ही खो दिया। एक परिवार तो ऐसा है, जिसमें अब पिता और मां, दोनों की ही मौत हो चुकी है। छोटे-छोटे बच्‍चों को खाना खिलाने वाला भी नहीं बचा। दादी है पर वो नेत्रहीन हैं। गांव के लोग उनके घर पहुंचे तो उनके भी आंसू निकल आए। एक परिवार तो ऐसा है, जहां बच्‍चे बार-बार दरवाजे की ओर ताकते हैं। उन्‍हें उम्‍मीद होती है कि पापा अभी आएंगे। उन्‍हें गले से लगा लेंगे। इसी आस में रात हो जाती है और नींद में वो घिर आते हैं। सुबह फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है।

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घर में दो बच्‍चे और नेत्रहीन दादी, कौन खिलाएगा खाना

राणा माजरा के 22 साल के मजदूर शिवकुमार ने मिस्‍त्री के साथ शराब पी थी। उसकी जान चली गई। उसके दो छोटे भाई-बहन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है। छोटे भाई 9 साल के बाली और उससे छोटी बहन 7 साल की सोनम तो रो-रो कर बेहाल हैं। बाली और सोनम घर में अकेले रहे गए हैं। उनके पिता जयपाल की 7 साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। उससे 2 साल पहले मां का कैंसर बीमारी से निधन हो गया। बाली की उससे बड़ी तीन बहनें हैं। उनकी शादी हो चुकी है। उससे छोटी 7 साल की सोनम एक बहन हैं। अब घर में कोर्ई नही है। बस 80 साल की बुजुर्ग नेत्रहीन नानी संतरो ही उनका सहारा है। गांव के पूर्व सरपंच खुर्शीद अहमद, सरपंच दर्शन इन बच्चों के घर पहुंचे। इन बच्‍चों को खाना खिलाया।

तीन बच्‍चों की दरवाजे से निगाह हटती नहीं

धनसौली में जहरीली शराब पीने से इस्लाम की मौत हो जाने पर तीनों बच्चो पर कहर ही टूट पड़ा है। पांच साल पहले तीनों बच्चों की मां फुलमीजरा का बीमारी के कारण निधन हो गया था। पिता इस्लाम ही मजदूरी करके बच्‍चों का पालन कर रहा था। घर पर खाना बनाकर मजदूरी करने जाता। जहरीली शराब ने नौ साल के सोहिल, सात साल की साहिबा, और तीन वर्ष के आहिल का रो-रो कर बुरा हाल है। इन्हें चुप कराते-कराते 70 साल की दादी कलसुमन के आंसू भी छलक आते हैं। कहती हैं, अब मेरे जाने की उम्र थी। बेटा क्‍यों चला गया। किसके सहारे जिएंगे ये बच्‍चे।

 

इन बच्‍चों के पिता हो गई मौत 

काश, न बिकती शराब, पति तो जिंदा होता

धनसौली के ही 34 साल के बिजेंद्र की जहरीली शराब से मौत हो गई। ‎तीन बच्चों की मां कविता का भी रो-रो कर बुरा हाल है। बडा बेटा पांच साल का राहुल, चार साल की बेटी प्रि‎यंका और दो साल की कोमल बेटी हैं। कविता बार-बार कहती है, इस जहरीली शराब ने मेरी जिंदगी उजाड़ दी है। गांव में शराब न बिकती तो कम से कम पति जिंदा तो होता। इन बच्‍चों को कैसे संभालूंगी। इनको तो ये भी नहीं कह सकती कि तुम्‍हारा पिता कहां चला गया है।


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