Move to Jagran APP

Farmers Protest News: दिल्ली में दो दिन फंसा रहा कारगिल योद्धा का शव, करनाल में फंसे रहे स्वजन

एक साल पहले सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे तरसेम लाल। कुछ दिन पहले बीमार होने पर मिलिट्री अस्पताल दिल्ली में कराया गया था भर्ती। यहां बुधवार को हो गया था निधन। बुधवार से शव दिल्ली में फंसा रहा। शुक्रवार को सोनीपत से हिसार के रास्ते पंजाब भेजना पड़ा शव।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 01:42 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 01:42 PM (IST)
Farmers Protest News: दिल्ली में दो दिन फंसा रहा कारगिल योद्धा का शव, करनाल में फंसे रहे स्वजन
किसान आंदोलन के चलते करनाल में हाईवे पर जाम लग गया। इसमें तरसेम चंद के स्वजन फंस गए।

पानीपत/करनाल, जेएनएन। कारगिल युद्ध में देश के लिए जिंदगी दांव पर लगा चुके जम्मू के रहने वाले पूर्व सैनिक तरसेम चंद ने कभी सोचा भी न होगा कि जिंदगी का साथ छूटने के बाद भी उनके शव को बिगड़े हालात का सामना करना पड़ेगा। किसानों व सरकार में टकराव के चलते एंबुलेंस में रखा उनका शव दो दिन दिल्ली में ही फंसा रहा तो शव लाने के लिए जा रहे स्वजन व रिश्तेदार करनाल में विषम हालात का सामना करते रहे। जिस सैनिक को मौत के बाद भी याद कर हर देशवासी खुद को गौरवान्वित महसूस करता है, उसी के शव के साथ यह व्यवहार सोचने को मजबूर कर देता है। 

loksabha election banner

किसानों के दिल्ली कूच के चलते दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर लगे जाम में फंसे मुकेश कुमार, अमन, बिशप व ललित का कहना है कि उनके रिश्तेदार जम्मू के तरसेम लाल जैकलाइन रेजिमेंट में सैनिक थे। उन्होंने कारगिल युद्ध में वीरता से हिस्सा लिया था। इसी युद्ध के बाद वे सूबेदार के तौर पर पदोन्नत भी हुए। एक साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके तरसेम कुछ दिन पहले बीमार हुए थे। उन्हें जम्मू में उपचार के बाद दिल्ली के आरआर मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बुधवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। सूचना मिलते ही वह शव लेने जम्मू से दिल्ली रवाना हुए तो करनाल में जाम में फंस गए। उधर, तरसेम का शव बुधवार से दिल्ली में फंसा रहा, जिसे सोनीपत से हिसार के रास्ते पंजाब निकालना पड़ा। 

मां की हो गई मौत, जाम में फंसे कैप्टन

सेना में कैप्टन रहे लखपत सिंह भी अपनी मां की मौत की सूचना के बावजूद समय पर नहीं पहुंच सके। उन्होंने बताया कि वह कुरुक्षेत्र रहते हैं लेकिन उनकी मां परिवार के साथ सोनीपत के गांव ज्वारा में रहती थी। वीरवार को ही उनका निधन हो गया और सूचना मिलते ही घर जाने लगे ताकि अंतिम संस्कार करवा सकें लेकिन जाम में फंस गए। अधिकारियों से मिन्नतें करने के बावजूद भी करीब 9 घंटे तक करनाल में ही फंसे रहे।

फंसी रहीं सीआरपीएफ की 50 गाड़ियां

नेशनल हाईवे पर लगे जाम के चलते सीआरपीएफ की 50 गाडिय़ां करनाल में ही फंसी रहीं। दिल्ली से जम्मू जा रही गाडिय़ों में सवार सेना के अधिकारी जिला प्रशासनिक अधिकारियों को रास्ता दिलाने के लिए बार-बार संपर्क करते रहे लेकिन किसानों व प्रशासन के बीच बने रहे टकराव के चलते छह घंटे तक वे निकल नहीं पाए। इससे पहले बुधवार रात को भी सेना की चार बसें कर्ण लेक पर प्रशासन द्वारा किए गए बैरिकेड्स के चलते लगे जाम में फंसी रही, जिन्हें निकालने के लिए पुलिस अधिकारियों के तीन घंटे तक पसीने छूटे रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.