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संघर्ष ने मुकाम तक पहुंचाया, घोड़ा गाड़ी चलाने वाली की बेटी बनी विश्व की सेलिब्रिटी Panipat News

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान एवं ओलंपियन ने कहा वर्ल्‍ड गेम्स एथलीट ऑफ दी ईयर के लिए वह नामित जरूर हुई हैं अब इस अवार्ड तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सभी की है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 10:12 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 03:07 PM (IST)
संघर्ष ने मुकाम तक पहुंचाया, घोड़ा गाड़ी चलाने वाली की बेटी बनी विश्व की सेलिब्रिटी Panipat News
संघर्ष ने मुकाम तक पहुंचाया, घोड़ा गाड़ी चलाने वाली की बेटी बनी विश्व की सेलिब्रिटी Panipat News

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [जतिंद्र सिंह चुघ]। वर्ल्‍ड गेम्स एथलीट ऑफ दी ईयर के लिए नामित होने से भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान एवं ओलंपियन रानी रामपाल बेहद खुश हैं। रानी ने इस उपलब्धि को देशवासियों की झोली में डालते हुए कहा है कि यह उपलब्धि उनकी नहीं बल्कि देश का ताज है। रानी ने कहा कि उनका सपना ओलंपिक्स में तिरंगा फहराना है और इसी जीत के लक्ष्य के साथ उनकी टीम पूरी मेहनत से अभ्यास कर रही है। 

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रानी रामपाल ने कहा कि वल्र्ड गेम्स एथलीट ऑफ दी ईयर के लिए वह नामित जरूर हुई हैं और अब इस अवार्ड तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सभी की है। इसलिए सभी हॉकी समर्थक व खेल प्रेम ज्यादा से ज्यादा वोट करने का काम करें। उल्लेखनीय है कि इस पुरस्कार के लिए अंतररष्ट्रीय महासंघों ने 25 खिलाडिय़ों को नामांकित किया है। इनमें रानी रामपाल भी है और इसका फैसला 30 जनवरी को ऑनलाइन वोङ्क्षटग के आधार पर होगा। 

रानी रामपाल ने कहा कि इस उपलब्धि पर आज पूरा देश प्रसन्न है और ढेरों बधाइयां उन्हें मिल रही हैं। इसलिए वह हर देशवासी का आभार व्यक्त करती हैं। 

rani rampal parents

बेटियों को दिया संदेश 

रानी ने देश की बेटियों को विशेष संदेश दिया कि बेटियां अबला नहीं सबला हैं। इसलिए बेटियों को हर क्षेत्र में आगे आकर अपनी पहचान बनानी चाहिए। रानी ने कहा कि वह खुश हैं कि वह एक ऐसे माता-पिता राममूर्ति व रामपाल की बेटी हैं जिन्होंने उनके हाथ में हॉकी की स्टिक थमायी है। रानी ने कहा कि आज भी उनको वह दिन याद हैं जब सड़कों पर घोड़ा गाड़ी दौड़ाने वाला शख्स अपनी बेटी को हॉकी के मैदान में हॉकी द्रोण कोच बलदेव सिंह के पास छोड़कर आया था। रानी ने कहा कि शाहाबाद के एसजीएनपी घास के मैदान से शुरू हुई हॉकी इस मुकाम तक ले आएगी कभी सोचा न था। रानी ने कहा कि सबसे बड़ा योगदान हॉकी द्रोण कोच बलेदव ङ्क्षसह का है जिन्होंने उन्हें एक सक्षम खिलाड़ी बनाकर भारतीय टीम में भेजा और उसे नाज है अपने माता-पिता पर जिन्होंने पल-पल उसका सहयोग किया।

rani rampal 

दिल, दिमाग व अभ्यास में ओलंपिक जीत का खुमार

भारतीय महिला हॉकी टीम को अपनी अगुवाई में ओलंपिक टोक्यो का टिकट दिलाने वाली कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि इस समय दिल, दिमाग और अभ्यास में मात्र ओलंपिक में जीत दर्ज करने का खुमार है। उन्होंने कहा कि ओलंपिक के लिए कुछ महीने शेष हैं। इसलिए उनकी पूरी टीम अभ्यास पर डटी है और अवश्य ही इस बार देश की टीम में ओलंपिक में देश का ध्वज फहरा कर रहेगी। 

रानी के पिता बोले जिसकी बेटी देश का गौरव उससे बड़ी अमीरी क्या?

वल्र्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर के लिये कप्तान रानी रामपाल के नामित होने से उनकी माता राममूर्ति व पिता रामपाल गौरवान्वित हैं और खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। रानी की इस उपलब्धि पर माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि जिसकी बेटी देश का गौरव हो उससे बड़ी अमीरी क्या? आज उनकी बेटी ने वह कर दिखाया है जो बेटे भी नहीं कर सकते। उन्होंने रानी के लिए वोट की अपील जरूर की है। 

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बेटी नहीं बेटा समझते हैं

माता राममूर्ति व पिता रामपाल ने कहा कि उन्होंने रानी को बेटी समझा ही नहीं और उसे वह हमेशा एक बेटे की तरह समझते आए हैं। इस उपलब्धि तक पहुंची रानी रामपाल की दास्तान के पीछे छिपे संघर्ष पर बात करते हुए परिजनों ने कहा कि बेटी रानी ने बेहद मेहनत की है। उन्होंने बताया कि जब रानी ने हॉकी की शुरुआत की थी तो घर में गरीबी थी और एक छोटी सी कॉलोनी में उनका कच्चा मकान था।

घर में अलार्म तक नहीं था

पिता रामपाल ने बताया कि घर में इतनी गरीबी थी कि घर में अलार्म वाली घड़ी तक नहीं थी। रानी को सुबह 4 बजे उठकर 5 बजे हॉकी मैदान में पहुंचना होता था। वे तारों की छांव से समय का अंदाजा लगाते थे और रानी को उठाकर ग्राउंड के लिए रवाना करते थे। पिता रामपाल ने कहा कि इस चक्कर में रानी रामपाल कई बार रात 3-3 बजे भी उठी है। पिता रामपाल ने कहा कि रानी जब 8 साल की थी तो रानी ने खेलना शुरू किया था और बड़ी ही कुशलता के साथ अभ्यास किया। उस समय इतनी गरीबी थी कि रानी को खेलने के लिए बढिय़ा जूते भी नहीं दिलवा पाते थे। लेकिन कोच बलदेव सिंह ने रानी को सभी साधन उपलब्ध करवाए। 

rani rampal

यूं की रानी ने हॉकी की शुरुआत

रानी के पिता रामपाल ने रानी की हॉकी की शुरुआत बताते हुए कहा कि वह शहर में घोड़ा गाड़ी चलाने का काम करते थे और अकसर हॉकी ग्राउंड में लड़कियों को आते-जाते देखते और सुना करते थे कि शाहाबाद की बेटियां खेल में आगे बढ़ रही हैं। बस उसी क्षण रानी को भी हॉकी में लाने का विचार किया और अपने घोड़ा गाड़ी पर बैठाकर उसे एसजीएनपी स्कूल में कोच बलदेव सिंह के पास छोड़कर आए। रानी रामपाल ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 


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