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बहू के आगे बढ़ने की ये है कहानी, जब वेटलिफ्टर बनने के लिए पैदल निकल पड़ी थी प्रीति

पानीपत के सनौली कलां की बेटी प्रीति त्यागी ने पावर लिफ्टिंग को जुनून बनाया। तीन किलोमीटर पैदल चलकर जिम तक जाती। लगातार मेडल जीते तो परिवार ने स्कूटी दिलाई। एक बेटा भी है। अब गांव की बेटियां साथ जाती हैं।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 06:20 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 06:20 AM (IST)
बहू के आगे बढ़ने की ये है कहानी, जब वेटलिफ्टर बनने के लिए पैदल निकल पड़ी थी प्रीति
सनौली कलां की प्रीति त्‍यागी, जिसने जीते मेडल।

सनौली, पानीपत [उमेश त्यागी] : गांव में एक तरफ पर्दा प्रथा तो दूसरी तरफ बहू को बाहर नहीं भेजने की हिचक। इन दोनों ही चुनौतियों को पार कर गांव की बहू प्रीति ने न केवल पावर लिफ्टिंग  में खुद को साबित किया, अब दूसरी बहू और बेटियों को भी खेल में आगे बढ़ा रही है। जिम जाने के लिए आटो रिक्‍शा तक नहीं होता था। तब प्रीति पैदल ही तीन किलोमीटर दूर जिम पहुंच जाती थी। घरवालों को लगा की बहू आगे निकल सकती है, तब दो वर्ष बाद उसे स्‍कूटी दिलाई। इन दो वर्षों में प्रीति ने तीन नेशनल मेडल हासिल कर लिए हैं।

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पानीपत से 15 किलोमीटर दूर गांव है सनौली कलां। यहां की बहू प्रीति त्यागी ने दो वर्ष पहले पावर लिफ्टिंग में अभ्‍यास शुरू किया था। सनौली खुर्द में जिम था। आटो रिक्‍शा चलता नहीं है। सो, पैदल ही निकल पड़ती थी रोज जिम आने के लिए। पैदल चलकर भी अपना वजन कम किया। लोग कहते थे, बहू को बाहर नहीं भेजो। पति और ससुराल वालों ने इन बातों को अनसुना कर दिया। बहू मेडल जीतने लगी तो वही लोग बधाई भी देने लगे हैं। अब सनौली कलां की ही कई बेटियां प्रीति के साथ जाती हैं।

रोज छह घंटे अभ्‍यास

प्रीति दिन में 6 घंटे अभ्‍यास करती है। अब उसका सपना वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में गोल्‍ड मेडल जीतना है। प्रीति ने 2019 में नार्थ इंडिया पवार लिफ्टिंग चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल जीत था। इसके बाद 2019 में केरल में आयोजित जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता। वर्ष 2020 भिवानी में आयोजित नार्थ इंडिया पवार लिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्‍ड मेडल जीता। निजी ओपन चैंपियनशिप में बीस पदक जीत चुकी हैं।

खिलाड़ियों के साथ प्रीति त्‍यागी (बायें)। 

चोट को भी हराया

प्रीति त्यागी ने बताया कि अभ्‍यास के दौरान कंधे में फ्रैक्‍चर भी हुआ। आपरेशन कराना पड़ा। हिम्‍मत नहीं हारी। चोट को हराकर फिर से मैदान पर आ गई।

पति ने कहा, खूब खेले पत्‍नी

पति रामदास त्‍यागी कहते हैं, उन्‍होंने पत्‍नी को कभी खेलने से नहीं रोका। पावर लिफ्टिंग में आगे बढ़े। ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए। लड़कियां उनसे प्रभावित होकर आगे आ रही हैं। यह सकारात्‍मक बदलाव है। आसपास ग्राउंड या स्‍टेडियम नहीं होने के कारण लड़कियों को तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।


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