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Lockdown : मां के अंतिम दर्शन भी न कर पाए बेटी और दामाद, याद कर भर आई आंखें

पानीपत शेल्‍टर होम में रह रहे दंपती लॉकडाउन की वजह से फंसे हैं। पत्‍नी की मां का निधन हो गया लेकिन वह अंतिम दर्शन को पहुंच भी नहीं सकी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 11:30 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 11:30 AM (IST)
Lockdown : मां के अंतिम दर्शन भी न कर पाए बेटी और दामाद, याद कर भर आई आंखें
Lockdown : मां के अंतिम दर्शन भी न कर पाए बेटी और दामाद, याद कर भर आई आंखें

पानीपत, जेएनएन। लॉकडाउन की वजह से आखिरी समय में लोग अपनों के अंतिम दर्शन नहीं कर पा रहे, तो कुछ को अपनों का कंधा तक नहीं मिल पा रहा। एक ऐसा ही मामला सामने आया पानीपत में। पानीपत शेल्‍टर होम में रह रहे दंपती अपनी मां को याद कर रो पड़े। 28 मार्च को उनकी मां का निधन हो गया था और वो अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके।

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मां के निधन का गम राधा भूल नहीं पा रही है। अंतिम दर्शन और संस्कार की बात तो दूर लॉकडाउन के कारण तेरहवीं में भी घर नहीं जा सकी। शेल्टर होम में शोकाकुल मजदूर दंपत्ती एक-एक दिन बमुश्किल से गुजार रहे हैं।

उत्‍तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाले हैं दोनों

बाराबंकी (उत्तरप्रदेश) के रामअवतार और राधा पति-पत्नी हैं। आठ माह पहले पंचकूला में डाइंग फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। काम छूट जाने के बाद पानीपत आ गए। फ्लोरा में एक ठेकेदार के अंदर काम करना शुरू कर दिया। बीते 28 मार्च को राधा की मां का निधन हो गया। लॉकडाउन में वह घर जाने के लिए व्याकुल हो गई। पैसे का इंतजाम करने के लिए फ्लोरा से पैदल चल कर पानीपत में एक परिचित रिश्तेदार से मिलने गई। रास्ते में पुलिसकर्मियों ने सीमाएं सील होने की बात कह कर जीटी रोड पर एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बने शेल्टर होम में छोड़ दिया। दंपत्ती 29 मार्च से इसी शेल्टर होम में रह रहे हैं। सुबह शाम जो कुछ खाने को मिलता है किसी तरह निगल लेते हैं।

ठेकेदार ने नहीं दिए पैसे  

रामअवतार ने बताया कि इस विषम परिस्थति में ठेकेदार ने पैसे नहीं दिए। फ्लोरा में तीन महीने काम के दौरान सिर्फ 9500 रुपये दिए। ठेकेदार से बकाया पैसे मांगने पर कभी 500 तो कभी 1500 रुपये देकर चलता कर देता है। सास के निधन पर घर न जाने का मलाल रह गया। शेल्टर होम में बताने के बाद भी किसी ने सहायता नहीं की।

एक माह पहले आया था फोन  

राधा ने दैनिक जागरण को बताया कि मां की उम्र 60 वर्ष के करीब रही होगी। बचपन में पाल पोस कर बड़ा किया। घर बसाने के लिए शादी कर दी। निधन होने से एक माह पहले मां का फोन आया था। घर आने के लिए बोल रही थी। काम छोड़ कर उनके पास नहीं जा सकी। दूसरी बार 28 मार्च को इस दुनिया से चल बसी। 20 अप्रैल को तेरहवीं भी बीत गई। लॉकडाउन के चलते मां का मुहं नहीं देख पाई। 


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