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आंकड़े दे रहे नदियों में अवैध खनन की गवाही, डेढ साल में दर्ज 414 एफआइआर

यमुना नगर में नदियों में अवैध खनन की गवाही दर्ज मामले दे रहे हैं। करीब डेढ़ साल में 414 केस दर्ज किए गए हैं। अधिकारी लगातार अवैध खनन रोकने की बात करते आ रहे। 16 करोड़ 92 लाख 95 हजार 22 रुपये जुर्माना लगा है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 05:24 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 05:24 PM (IST)
आंकड़े दे रहे नदियों में अवैध खनन की गवाही, डेढ साल में दर्ज 414 एफआइआर
यमुना नदी में अवैध खनन के लगातार मामले बढ़ रहे।

यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। अधिकारी बेशक अवैध खनन पर अंकुश की बात कहते रहों, लेेकिन आंकड़े नदियों में अवैध खनन की गवाही दे रहे हैं। डेढ वर्ष की अवधि में अवैध खनन में संलिप्त 1168 वाहनों व मशीनरी को पकड़ा गया। 566 वाहनों को जुर्माना अदा करने के बाद छोड़ गया जिनसे 16 करोड़ 92 लाख 95 हजार 22 रुपये जुर्माने के रुप में वसूले गए है। इसके अलावा अलग-अलग थाने में 414 वाहन मालिकों व चालकों के खिलाफ अवैध खनन की एफआइआर दर्ज करवाई गई है। यह आंकड़े खनन विभाग की जिला स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी की बैठक पेश किए गए हैं।

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इन विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी

हालांकि मानसून सीजन के मद्देनजर प्रथम जुलाई से लेकर 15 सितंबर तक यमुना सहित अन्य नदियों के बैड से किसी भी प्रकार के खनन पर पूर्ण रुप से पांबदी लगाई गई, लेकिन सामान्य दिनों में खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों तथा लोक निर्माण विभाग (भवन एवं मार्ग) के अधिकारियों की जिम्मेदारी अवैध खनन रोकने की है। इस संबंध में प्रशासनिक आदेश भी जारी किए हुए हैं कि अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में किसी भी प्रकार से अवैध खनन न होने दें। इन अधिकारियों को भी खनन विभाग के अधिकारियों की तरह ही अवैध खनन को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई करने के अधिकार है।

हथिनीकुंड बैराज से लेकर गुमथला तक खनन के नाम पर 30-40 फुट गहरे गड्ढे बना दिए हैं। क्षेत्रवासियों के मुताबिक इस प्रकार की गतिविधियों के कारण आबादी की ओर जल का प्रवाह बढ़ रहा है। यहां तक कि अवैध खनन से हथिनीकुंड बैराज को भी खतरा पैदा हो गया है। इतना ही नहीं यमुना नदी के किनारे बसे गांवों का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है। नियमों के अनुसार यमुना नदी के घाटों पर दिन के समय ही खनन किया जा सकता है, जबकि ठेकेदार 24 घंटे खनन करने में लगे रहते हैं। रात के अंधेरे में भी पोक लाइन धनधनाती हैं।

गहरे कुंडों से हो चुके हादसे

उप्र व हरियाणा के बीचोंबीच बह रही यमुना में अवैध खनन के कारण गहरे गड्ढे कई जानें लील गए। गत दिनों नाहरपुर क्षेत्र में नहाते हुए तीन बच्चों की मौत हो गई थी। कई जगह तो गहराई का अंदाजा ही नहीं है। यमुना के किनारे बसे गांव कपालपुर टापू, संधाला, संधाली, गुमथला, जठलाना, पौबारी, उन्हेड़ी, लापरा, मंडी, लाल छप्पर, मॉडल टाउन, करहेड़ा सहित कई गांवों के लोग अवैध रूप से हो रही खनन गतिविधियों का खामियां भुगत रहे हैं। कई बार प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया गया, लेकिन स्थिति जस की तस रही।

नहीं होती नियमों की पालना

नियमानुसार घाट के ठेकेदारों को वर्ष में एक हजार पौधे लगाकर वातावरण को हराभरा करना होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता। क्षेत्र को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए हरी-पट्टी विकसित की जानी थी, जो नहीं की गई। क्षेत्र के लोगों को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिए मशीनों की मरम्मत और समयानुसार बंद करना शामिल था, लेकिन मशीनों के हर समय चलने से क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। ठेकेदार पानी के अंदर खनन कर रहे हैं। उससे जल प्रदूषण हो रहा है। प्रथम वर्ष में घाट के ठेकेदारों को एक हजार पेड़ लगाने थे, जिनमें से आठ सौ पेड़ों को जिंदा रखना अनिवार्य था। पेड़ों की प्रजाति में नीम, आम, शीशम, सिरस, बबूल और गुलमोहर शामिल थे।ये पौधे सड़कों के किनारे, स्कूल, सार्वजनिक इमारत और सामाजिक स्थानों पर यह पेड़ लगाने अनिवार्य हैं। लेकिन इस ओर भी ध्यान नहीं है।

खनन की 17 साइटें चालू

जिले में खनन की कुल 32 साइटें हैं, जिनमें से भी 17 चल रही हैं। इन दिनों मानसून सीजन की वजह से यह बंद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि खनन साइंटिफिक तरीके से किया जाए तो बाढ़ के खतरों को कम कर देता है, लेकिन अवैध रूप से किया गया खनन बाढ़ क्षेत्र के लिए घातक साबित हो सकता है। बाढ़ के पानी को रोकने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा रहा है। सरकार हर वर्ष 8-10 करोड़ रुपये खर्च किए जाने के दावे करती है, लेकिन बचाव फिर भी नहीं हो रहा है।


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