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पानीपत में बढ़ रहा खतरा, अगर नहीं चेते तो जान बचाना मुश्किल, कुरुक्षेत्र में भी ऐसा ही हाल

हरियाणा के पानीपत सहित कुरुक्षेत्र की वायु काफी ज्‍यादा प्रदूषित हो गई है। ये खतरे की स्थिति में है। एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स तीन सौ पार कर गई है। सोमवार को कुरुक्षेत्र का एयर क्वालिटी इंडेक्स 315 पर पहुंचा है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 07:05 AM (IST)
पानीपत में बढ़ रहा खतरा, अगर नहीं चेते तो जान बचाना मुश्किल, कुरुक्षेत्र में भी ऐसा ही हाल
पानीपत सहित कुरुक्षेत्र करनाल में प्रदूषण स्‍तर खतरनाक स्थि‍ति में है।

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। पानीपत में में एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरे से ऊपर पहुंच गया है। यह खतरे के निशान से ऊपर डेंजर जोन में चला गया है। हालात यह है कि सुबह के समय जीटी रोड और शहर के बाहरी क्षेत्र में स्मॉग छाने लगी है। लोगों को सांस लेने दिक्कत और आंखों में भी जलन होने लगी है। जीटी बेल्‍ट के ज्‍यादा जिलों में प्रदूषण का स्‍तर लगातार खराब हो रहा है। पानीपत सहित कुरुक्षेत्र और करनाल में स्थिति लगातार खराब हो रही।

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धान के सीजन में प्रशासन और कृषि विभाग ने किसानों को पराली और धान के अवशेष न चलाने के लिए लगातार जागरूक अभियान चलाया। गांव-गांव पहुंचकर कार्यक्रम किए। इसके अलावा प्रशासन ने कमेटियों का गठन किया। बावजूद इसके किसान पराली और धान के अवशेष जलाने से बाज नहीं आए। जिले में पराली और धान जलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अधिकारियों की रिपोर्ट पर यकीन करें तो रविवार को धान के अवशेषों में आग लगाने के 13 मामले पकड़े गए।

एयर क्वालिटी इंडेक्स बढऩे के कई कारण : डा. नरेश भारद्वाज

ग्रीन अर्थ संस्था के सदस्य एवं पर्यावरणविद् डा. नरेश भारद्वाज ने बताया कि ऐयर क्वालिटी इंडेक्स बढऩे का सिर्फ एक कारण नहीं है। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे पहला कारण है खेतों में जो आग लगाई जा रही है। इसके बाद दूसरा बड़ा कारण है कि खाली प्लाटों में फैले कूड़े और झाडिय़ों में आए दिन लोगों व सफाई कर्मचारियों द्वारा आग लगाई जा रही है। ऐसे में जितना धुआं खेतों से निकलता है उतना ही धुआं शहर से हम लोग कर रहे हैं। इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण पिपली से थर्ड गेट तक निर्माणाधीन अटकी सड़क भी है। जिससे दिन भर धूल उड़ती रहती है। यह भी एक कारण है। इन सब बातों के साथ तापमान में गिरावट एक बड़ा कारण है। तापमान कम होने की वजह से धूल कण निचली सतह पर रह जाते हैं और ऊपर नहीं जा पाते। नमी के साथ मिलकर ये प्रदूषण नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड बनाता है जिसकी वजह आंखों में जलन की समस्या भी हो सकती है।


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