शहर की सरकार में फिर दंगल, अविश्वास का दांव
जागरण संवाददाता, पानीपत : नगर निगम की राजनीति में फिर से दंगल शुरू हो गया है। जिस तरह भूप
जागरण संवाददाता, पानीपत :
नगर निगम की राजनीति में फिर से दंगल शुरू हो गया है। जिस तरह भूपेंद्र सिंह को हटाकर सुरेश वर्मा को मेयर बनाया था, ठीक उसी अब वर्मा को हटाने के लिए पार्षद अविश्वास प्रस्ताव ले आए हैं। इस बार भी भाजपा के ही पार्षद मुखर हुए हैं। 11 पार्षदों ने संयुक्त रूप से उपायुक्त को मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तिथी निर्धारित करने की मांग रखी। उपायुक्त ने आवेदन लेते हुए कहा कि इसे कमिश्नर रोहतक रेंज के भेजा जाएगा। वहां से अविश्वास के लिए तिथि निर्धारित होगी।
आवेदन देने वाले पार्षदों में भूपेंद्र सिंह, हरीश शर्मा, डिप्टी मेयर सीमा पाहवा, जय कुमार, सुधा अग्रवाल, सतीश सैनी, सविता रामदेव, अशोक नारंग, संजीव दहिया, लोकेश नांगरू, दुष्यंत भंट्ट शामिल है। पार्षद अशोक कटारिया तथा सुरेंद्र गर्ग लघु सचिवालय तो नहीं पहुंचे लेकिन कहा कि वे भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन भेज देंगे। इस प्रकार 13 पार्षद मेयर के खिलाफ मैदान में उतरे हैं।
इससे पहले नगर निगम के पार्षद दुष्यंत भंट्ट ने कहा कि उन्होंने पार्षदों की राय के अनुसार कमिश्नर रोहतक से मिलने के लिए समय मांगा था। कमिश्नर को ही अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन दिया जाना था, लेकिन वे व्यस्त थे। उन्होंने इसके लिए उपायुक्त को आवेदन देने के लिए कहा।
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आठ वोट होने चाहिए
मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आठ पार्षदों का समर्थन जरूरी है। हालांकि 11 पार्षद आवेदन दे चुके है। दो ने आवेदन देने के लिए कहा है। इस प्रकार 13 पार्षद मेयर के खिलाफ एकजुट हैं। नियम अनुसार मेयर को हटाने के लिए दो तिहाई यानी 17 वोट चाहिए। मेयर को कुर्सी बचाने के लिए आठ वोट की जरूरत है। नगर निगम में 24 पार्षद हैं।
एक साल पहले भूपेंद्र के स्थान पर चुने गए थे सुरेश वर्मा
पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद पिछले साल दुष्यंत भंट्ट तथा सुरेश वर्मा के बीच चुनाव हुआ था। तब क्रॉस वोटिंग की वजह से भाजपा हार गई और सुरेश वर्मा को मेयर चुन लिया गया था।
बड़ा सवाल, अगर मेयर हटे तो कौन : भट्ट ने इन्कार किया
मेयर की दौड़ से खुद को अलग करते हुए दुष्यंत भंट्ट ने कहा कि वह मेयर पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं। राज्य स्वास्थ्य मिशन की जिम्मेवारी होने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा से सतीश सैनी, भूपेंद्र सिंह या कोई और यह चुनाव लड़ सकता है। यह पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है।
पहला लक्ष्य मेयर को हटाना
पार्षदों का पहला लक्ष्य मेयर सुरेश वर्मा को हटाना है। उसके बाद ही मेयर पद के लिए दावा ठोंका जाएगा। यदि पहले से नाम निर्धारित किया जाता है तो फूट पड़ने की आशंका है। यही फार्मूला पहले बनाया गया गया। दरअसल, पिछली बार पूर्व मेयर को हटाने में जो पार्षद शामिल हुए थे, मेयर चुनते समय उन पार्षदों में से ज्यादातर सुरेश वर्मा के साथ चले गए थे।
मेयर का दावा अविश्वास प्रस्ताव नहीं होगा पास
मेयर सुरेश वर्मा ने दावा किया कि अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं होगा। अविश्वास प्रस्ताव के लिए शपथपत्र देने वाले 11 पार्षदों में पांच पार्षद उनके समर्थक हैं। यदि वोटिंग होती है तो वोट उनके पक्ष में ही डाले जाएंगे। बिना वोट के यदि चुनाव करवाया गया तो सरकार के दबाव में कुछ भी हो सकता है।
कांग्रेस पार्षदों की होगी बैठक
कांग्रेसी नेता वीरेंद्र शाह (बुल्ले शाह) का कहना है कि इस संदर्भ पार्षदों की बैठक होगी। नई परिस्थितियों पर चर्चा होगा। कांग्रेस मेयर सुरेश वर्मा को पूरा समर्थन देगी। पहले मुख्यमंत्री ने दुष्यंत भंट्ट को मेयर बनाने के लिए सरदार भूपेंद्र के खिलाफ अंिवश्वास प्रस्ताव करवाया था। भाजपा पार्षदों ने ही सुरेश वर्मा को मेयर चुना। अब एक साल बाद फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। अविश्वास प्रस्ताव को खेल बना लिया गया है।
पार्टी जिसे खड़ा करेगी, उसे वोट
पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यदि दुष्यंत भंट्ट चुनाव लड़ते है तथा पार्टी उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित करती है तो वह उसे ही वोट देंगे। अविश्वास प्रस्ताव 21 : 3 से सफल होगा। मेयर के खिलाफ शहर की प्रगति के लिए दूसरे दलों के पार्षदों से समर्थन की मांग की जाएगी।
कुर्सी सुरक्षित, कहां से पैसा दें
मेयर सुरेश वर्मा का कहना है कि कुछ पार्षद पैसा मांग रहे हैं। उनकी कुर्सी सुरक्षित है। कांग्रेस के सात पार्षद उनके साथ हैं। उनके सहित आठ पार्षद की जरूरत है। आवेदन करने वालों में पांच पार्षद उनके समर्थक हैं।