रात में जलाते फसल अवशेष, सुबह कर देते खेतों की जुताई
संवाद सहयोगी सनौली तू डाल-डाल मैं पात-पात जी हां फसल अवशेष जलाने के मामले में जिला प्रशास
संवाद सहयोगी, सनौली : तू डाल-डाल मैं पात-पात, जी हां फसल अवशेष जलाने के मामले में जिला प्रशासन और किसानों के बीच यही खेल चल रहा है। अब किसानों ने रात्रि में फसल अवशेषों को जलाना शुरू कर दिया है। सुबह सूरज निकलते ही ट्रैक्टर की मदद से खेतों की जुताई कर देते हैं।
सनौली-बापौली क्षेत्र में जिला प्रशासन की सख्ती को नजरअंदाज करते हुए किसान पराली सहित फसल अवशेष जला रहे हैं। पराली के साथ खेतों के चारों तरफ खड़े पेड़ों को भी आग से नुकसान पहुंच रहा है। गांव तामशाबाद में भी बुधवार को एक किसान ने फसलों के अवशेष जलाए। इससे जहरीला धुंआ आसपास वातावरण में फैल गया। पास के खेतों में काम करने वाले किसानों, रास्ते से गुजरने वालों की आंखों में धुंआ लगने से उन्हें दिक्कत आई। कृषि विज्ञान केंद्र उझा के वैज्ञानिक डा. राजबीर गर्ग ने किसानों को सीख देते हुए बताया कि फसल अवशेष जलाने से भूमि के अंदर मौजूद मित्र कीट मर जाते हैं। धान के अवशेषों को जलाएं नहीं बल्कि गेंहू की बिजाई के लिए जीरोटिल मशीन का प्रयोग करें।