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कच्‍चे माल और और मजदूर का संकट, घर वापसी नहीं रुकी तो उद्योग होंगे लॉकडाउन

लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को चलाने की परमिशन तो दे दी गई। लेकिन न कच्‍चा माल मिल रहा और न मजदूर। ऐसे में उद्योगपतियों को उद्योग बंद होने का डर सता रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 04:05 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 04:05 PM (IST)
कच्‍चे माल और और मजदूर का संकट, घर वापसी नहीं रुकी तो उद्योग होंगे लॉकडाउन
कच्‍चे माल और और मजदूर का संकट, घर वापसी नहीं रुकी तो उद्योग होंगे लॉकडाउन

पानीपत, [महावीर गोयल]। डेढ़ माह लॉकडाउन बीतने के बाद उद्योगों को चलाने की अनुमति तो मिल गई, अब मजदूरों के गांव लौटने से उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। उद्यमियों को कहना है कि प्रशिक्षित कारीगरों के गांव जाने पर कैसे उद्योग चलेंगे। यही हालत रही तो उद्योगों को चलाने के बाद फिर से बंद करना पड़ेगा। अन्य प्रदेशों के कुशल कामगारों को रोका जाना चाहिए। उद्यमी सभी सुविधाएं देने के लिए तैयार हैं। 75 फीसद श्रमिकों के साथ उद्योगों को चलाना है। 50 फीसद मजदूर वापस गांव जाने की तैयारी में है। बहुत से मजदूर जा भी चुके हैं। जो बचे हुए हैं, उन्हें नहीं रोका गया तो उद्योग नहीं चल पाएंगे। 

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प्रोत्साहन न दें 

पानीपत एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान ललित गोयल का कहना है कि सरकार श्रमिकों को वापस जाने के लिए प्रोत्साहन न दे। प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा तो वही मजूदर जाएंगे जो जाना चाहते हैं। हम जल्द से नए कारीगरों को प्रशिक्षित नहीं कर पाएंगे। जो श्रमिक जा चुके हैं वह वापस लौटना चाह रहे हैं। जिन गाडिय़ों में मजदूर जाएंगे। उनमें जो श्रमिक आना चाह रहे हैं उनको लाने की व्यवस्था भी की जाए। 

अन्य प्रदेशों में आने वाले श्रमिकों के लिए पोर्टल बने 

प्रदेश में जिस प्रकार जाने के इच्छुक मजदूरों के लिए पोर्टल बनाया गया है। उसी तरह से जो लेबर जा चुकी है वह वापस आना चाहती है। इसके लिए अन्य प्रदेशों विशेष कर उत्तर प्रदेश बिहार में भी पोर्टल बनाया जाना चाहिए। ऑल इंडिया रोटर स्पिनिर्स एसोसिएशन के प्रधान प्रीतम सचदेवा  का कहना है कि इतना नुकसान लॉकडाउन में नहीं हुआ होगा जितना मजदूरों के जाने पर होगा। इसीलिए गांव-गांव लेबर का जाने के लिए जो मुनादी हो रही है वह रोक देनी चाहिए। मजदूर क्यों लौटना चाह रहे हैं। उद्यमियों ने उन्हें भावनात्मक सुरक्षा क्यों नहीं दी। इस सवाल पर प्रीतम सिंह का कहना है कि यह मानव स्वभाव है। यदि हम चीन में गए हुए हैं वहां कुछ होता है तो परिवार वाले भी आने की जिद करेंगे। यही मामला अब श्रमिकों के साथ हो रहा है।   

श्रमिकों को रुकने के लिए प्रेरित करें : ओपी गोस्वामी 

सेक्टर 29 में एक निर्यातक फर्म में प्रॉडक्शन मैनेजर ओपी गोस्वामी का कहना है कि हमारे यहां तो मजदूर रुक गए हैं। उन्हें सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। वे जाना भी नहीं चाह रहे हैं। अन्य उद्योगों में यह समस्या शुरू हो गई है। हम कारीगरों को समझा भी रहे हैं। यदि यह पलायन नहीं रुका तो उद्योगों को नुकसान अधिक होगा। भावनात्मक सुरक्षा का सवाल है वह उद्यमी दे रहा है। लॉकडाउन के दौरान भी किसी श्रमिक को परेशानी नहीं आने दी गई।  

पानीपत की स्थिति 

पानीपत :           20000 उद्योग 

अभी जो उद्योग चले : 1500

मजदूरों की संख्या   : तीन लाख से अधिक

पंजीकृत संख्या    : 85000 


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