एक देसी गाय इस तरह किसान को मालामाल बना सकती है, संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी समझा महत्व
कुरुक्षेत्र ने देश में जीरो बजट खेती की चर्चा बढ़ा दी है। जमीन की उर्वरा शक्ित बढ़ रही है और लागत कम हो रही है। आप भी जानिये, किस तरह गाय के गोबर से हो सकता है फायदा।
विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र - क्या आप यकीन करेंगे कि केवल एक देसी गाय किसान की जिंदगी बदल सकती है। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, हमारी सेहत भी सुधार देगी। क्योंकि फसल अगर बिना रासायनिक खाद के होगी तो हमें खाना भी शुद्ध मिलेगा। और तो और ग्लोबल वार्मिंग पर भी काबू पाया जा सकता है। यह दावा पद्मश्री डॉ. सुभाष पालेकर ने किया है। वे गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। जीरो बजट खेती में एक देसी गाय की मदद से 30 एकड़ की खेती की जा सकती है। इसमें खेती पर खर्च कम होता है। खर्च घटने और इससे तैयार फसल के अच्छे दामों पर बिक्री होने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है। अगर खेती में आय होगी तो रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
जीरो बजट के प्राकृतिक फायदे
जीरो बजट प्राकृतिक खेती के और भी कई फायदे हैं। रासायनिक और पारंपरिक खेती में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैस निकलती हैं। यही ग्रीन हाउस गैस ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण है। तापमान में एक प्रतिशत और बढ़ोतरी होने पर 27 प्रतिशत फसल उत्पादन कम हो जाएगा। ऐसे में प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जाना जरूरी है, ताकि ग्लोबल वार्मिंग पर काबू पाया जा सके। इसी मामले की गंभीरता को पहचानते हुए अब संयुक्त राष्ट्र संघ भी जीरो बजट खेती के महत्व को समझने लगा है और उन्होंने इस खेती पर एक विशेष सत्र आयोजित करवाया है। इसमें भारत के विशेषज्ञों ने जीरो बजट खेती पर अपनी प्रस्तुति दी है।
पानी की कम जरूरत पड़ेगी
आज धरती से कम होता जल पूरी मानव जाति के लिए चुनौती बना हुआ है। विशेषज्ञों का दावा है कि अगर पानी का इसी तरह से दोहन होता रहा तो साल 2050 तक पीने के पानी के लाले पड़ जाएंगे। उन्होंने बताया कि जीरो बजट खेती में पानी की जरूरत भी 90 प्रतिशत कम हो जाती है। ऐसे में हम पानी की बचत कर सकते हैं। इतना ही नहीं, पिछले 30 सालों में जिन बीमारियों ने मनुष्य को अपने पंजे में जकड़ लिया है, उनके पीछे खेती में उपयोग होने वाले रासायन एक बहुत बड़ा कारण है।
कैंसर से पा सकते हैं मुक्ित
इस खेती से निकलने वाले अनाज के माध्यम से हमारे पेट में पहुंचने वाले यही रसायन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि जीरो बजट खेती से पैदा हुए अनाज में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं और यह मनुष्य के लिए एक औषधि का काम करते हैं। किसान को समय अनुसार अपने आप को बदलना होगा। जीरो बजट खेती किसान को नई दिशा देगी।
इस तरह काम आएगी देसी गाय
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल गुरुकुल संरक्षक आचार्य डॉ.देवव्रत के अनुसार किसी भी फसल में रासायनिक और जैविक खाद की बजाय जीवामृत बनाकर छिड़काव किया जाता है। इससे खेती पर होने वाला खर्च बिल्कुल खत्म हो जाता है। एक देसी गाय से 30 एकड़ की खेती हो सकती है। गाय का गोबर 10 किलो, गोमूत्र पांच से 10 लीटर, गुड़ एक से दो किलो, बेसन एक से दो किलो पानी 200 लीटर और पेड़ के नीचे की मिट्टी एक किलो मिलाकर जीवामृत तैयार किया जाता है। चार दिन इसे क्लॉकवाइज घूमाकर तैयार किया जाता है। इसका फसलों पर छिड़काव किया जाता है।