Move to Jagran APP

Cotton Price Hike: टेक्सटाइल निर्यातकों को झटका, काटन और काटन यार्न के भाव में बेतहाशा वृद्धि

Cotton Price Hike काटन और काटन यार्न के दामों में बढ़ोतरी हुई हैै। पानीपत टेक्‍सटाइल निर्यात में 50 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। कपास का भाव 330 रुपये किलो पहुंचा। निर्यात आर्डर रद्द कर दिए गए हैं। नए आर्डर नहीं मिल रहे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 08:12 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 12:49 PM (IST)
Cotton Price Hike: टेक्सटाइल निर्यातकों को झटका, काटन और काटन यार्न के भाव में बेतहाशा वृद्धि
पानीपत के टेक्सटाइल निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही।

पानीपत, [महावीर गोयल]। काटन और काटन यार्न में बेतहाशा वृद्धि होने से पानीपत के टेक्सटाइल निर्यात में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। अन्य देशों से नए आर्डर नहीं मिल रहे। पुराने आर्डर रद हो रहे हैं। यूरोपियन देशों के बहुत से खरीदारों ने डिलीवरी लेने में देरी की है। निर्यातकों को चार-पांच माह बाद माल भेजने के ई-मेल मिल रहे हैं।

loksabha election banner

पानीपत एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान ललित गोयल का कहना है कि इस वर्ष रुई (कपास) के दामों में रिकार्ड तोड़ तेजी है। पहली बार रुई का दाम 330 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंचा है। रुई महंगी होने से काटन यार्न महंगा पड़ रहा है। आए दिन काटन यार्न के दाम में बढ़ोतरी हो रही है। काटन यार्न के दाम तेज होने से टेक्सटाइल निर्यात प्रभावित हो रहा है। आने वाले चार-पांच महीनों में क्या स्थिति बनती है इस पर निर्यातकों की नजर लगी है। पिछले वर्ष नवंबर में रुई के दाम 120 रुपये किलोग्राम थे जो छह महीने बाद वर्तमान में 330 रुपये किलो ग्राम तक पहुंच चुके हैं। पहली बार रुई का दाम इतना ऊंचा दर्ज किया गया।

आयात के लिए ड्यूटी कम करने का लाभ भी नहीं मिल रहा

सरकार ने पहले रुई के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया। उसके बाद अप्रैल में विदेश से कपास मंगवाने के लिए आयात ड्यूटी हटा दी। इसका फायदा भी निर्यातकों को नहीं मिला। यार्न के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। पानीपत इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रीतम सचदेवा का कहना है कि जनवरी 22 में ड्यूटी हटती तो आयात हो सकता था, अब तो विदेश में काटन महंगा है। तीन-चार महीने शिपमेंट आने में लग जाता है।

पानीपत से टेक्सटाइल निर्यात

वर्ष 2018-2019    12000-13000 करोड़ रुपये

वर्ष 2020-21        18000-20000 करोड़ रुपये

वर्ष 2022 अनुमानित  12000 करोड़ रुपये

आंकड़े यंग इंटरप्रिन्योर एसोसिएशन (यस) के सौजन्य से।

नए आर्डर पर लगी रोक

यंग एंटरप्रिन्योर एसोसिएशन (यस) के चेयरमैन निर्यातक रमन छाबड़ा के मुताबिक टेक्सटाइल निर्यात कम होने मुख्य कारक काटन, काटन यार्न के भाव बढऩा, कंटेनर के भाव दोबारा बढऩा, कोरोना काल में यूरोप व अमेरिका के स्टोर में स्टाक लगना है। दो साल पहले अमेरिका के लिए कंटेनर का भाड़ा 2500 डालर था जो 16000 डालर पर पहुंच चुका है। महंगाई अधिक होने से विदेशों में ब्रेड-बटर को प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही टूरिज्म पर जोर दिया जा रहा है। इसीलिए टेक्सटाइल की डिमांड कम है। अब अमेरिका के कारोबारी तीन-चार महीने देरी से माल भेजने के लिए कह रहे हैं। ऐसे में नए आर्डर तो मिल ही नहीं रहे। पुराने आर्डर की डिलीवरी होने के बाद नए आर्डर मिलेंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, महंगाई बढ़ी

टेक्सटाइल उद्योग के निर्यात पर रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भी पड़ा है। क्रूड आयल के दाम बढऩे से महंगाई बढ़ी है। इससे जरूरत के सामान की खरीद पर यूरोपीय देशों में जोर दिया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.