COTPA Law: स्वास्थ्य विभाग ने भेजा रिमाइंडर, सख्ती से करें लागू, जानिए क्या कहता है कोटपा कानून
डिप्टी सिविल सर्जन डा. कर्मवीर चोपड़ा ने ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा में करीब 50 लाख लोग (महिला-पुरुष) तंबाकू का सेवन करते हैं। शिक्षण संस्थानों धार्मिक स्थलों सरकारी कार्यालयों सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगाना हर विभाग की जिम्मेदारी है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003 को सख्ती से लागू किए जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने चार दिन पहले सभी विभागों को रिमाइंडर भेजा है। विभागों में नियुक्त नोडल अधिकारियों से अपील की गई है कि कोटपा की धारा-6 के तहत जगह-जगह चेतावनी बोर्ड लगवाए जाने चाहिए।
डिप्टी सिविल सर्जन डा. कर्मवीर चोपड़ा ने ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा में करीब 50 लाख लोग (महिला-पुरुष) किसी ने किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। शिक्षण संस्थानों, धार्मिक स्थलों, सरकारी कार्यालयों के पास बीड़ी सिगरेट की बिक्री रोकना, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगाना हर विभाग की जिम्मेदारी है।
जुर्माना वसूलने की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग और रोडवेज के अधिकारी रुचि लेते हैं। पुलिस, शिक्षा, यातायात, स्वास्थ्य, बिक्री कर विभाग, नगर पालिका, ड्रग कंट्रोल, खाद्य सुरक्षा और श्रम विभाग आदि के अधिकारी अपने यहां कोटपा कानून को सख्ती से लागू कराने में पर्याप्त रुचि नहीं ले रहे हैं। तंबाकू उत्पादों के सेवन पर पाबंदी नहीं लगने से कैंसर और टीबी के मरीजों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 व केंद्र सरकार ने 2025 तक हरियाणा को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
क्या कहता है कोटपा कानून
सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट (कोटपा) एक्ट 2003 धारा-4 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है। नो-स्मोकिंग जोन का साइन बोर्ड लगा होना चाहिए। सेक्शन-छह के तहत नाबालिगों को बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि बेचने, शैक्षणिक संस्थानों के चारों ओर 100 मीटर की परिधि में बिक्री प्रतिबंधित है। सेक्शन-सात के तहत तंबाकू उत्पादों का प्रचार भी नहीं कर सकते।
डीसी सुशील सारवान ने भी दिए थे यह निर्देश
-नो-स्मोकिंग जोन में नोटिस चस्पा किए जाएं।
-सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग करने वालों को चिन्हित किया जाए।
-कार्यालय के कर्मचारियों को कानून की जानकारी दी जाए।
-जुर्माना राशि, स्वास्थ्य विभाग को दें। विभाग अलग खाता खोले।
-एसडीएम, चालान करने की जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों को सौंपें।
-जुर्माना नहीं भरने पर, चालान अवश्य काटा जाए।
-कोर ग्रुप-टास्क फोर्स रेगुलर मानिटरिंग करे, औचक निरीक्षण करे