तो निगम आयुक्त पर दर्ज हो सकता है मुकदमा, पूर्व मेयर ने भी खोला मोर्चा Panipat News
पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह ने निगम कमिश्नर सहित पांच अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए आगे आए हैं। वकील के माध्यम अपनी ही सरकार में प्रधान सचिव को लीगल नोटिस भेजा।
पानीपत, जेएनएन। भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसी नगर निगम कमिश्नर और उनकी मंडली की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह अब कमिश्नर, एसई और एक्सईएन समेत पांच अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराने के लिए आगे आ गए हैं। उन्होंने प्रधान सचिव डीएस ढेसी को वकील के मार्फत लीगल नोटिस भेजा है। प्रधान सचिव को नियमानुसार एक महीने में कार्रवाई करनी होगी। उधर, पार्षदों के आरोपों का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। ऐसे में आरोपित अधिकारियों पर इसी सप्ताह गाज गिर सकती है। इन सबके बीच अधिकारी खुद को बचाने में जुट गए हैं।
पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह ने एडवोकेट नवीन कुंडू के मार्फत सेक्शन 197 के तहत लीगल नोटिस भेजा है। उन्होंने एक-एक कॉपी नगर निगम कमिश्नर वीना हुड्डा, एसई रमेश कुमार, एक्सईएन उमर फारुख, एमई प्रदीप कल्याण व जेई मंजीत को भी भेजी है।
कविता जैन से भी हुई थी शिकायत
नगर निगम में भाजपा के 23 पार्षदों ने रविवार को शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन के सामने नगर निगम में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। पार्षदों ने निगम कमिश्नर वीना हुड्डा पर उनकी सुनवाई न करने का आरोप लगाया था। मेयर अवनीत कौर ने अपने लेटर पेड पर बनाए अधिकारियों के ट्रांसफर नोट पर सांसद संजय भाटिया, मंत्री कविता जैन, विधायक महीपाल ढांडा, रोहिता रेवड़ी और जिलाध्यक्ष प्रमोद विज के साइन करा लिए थे। जिला प्रभारी अजय गौड़ ने अधिकारियों के खिलाफ नोट सीएम के सामने रखने का आश्वासन दिया था।
नोटिस में यह कहा
एडवोकेट नवीन कुंडू ने अपने नोटिस में कहा कि नगर निगम एक्सईएन ने 21 फरवरी को विजय नगर में गलियों और नालों के टेंडर लगाए थे। अधिकारियों ने टेंडर लगाने और इसको शुरू करने की तारीख के बीच कई बार री-शेड्यूल किया। उक्त कार्य 1.98 करोड़ रुपये में होने हैं। शिवशक्ति कंपनी को 21.50 प्रतिशत प्रॉफिट में वर्क ऑर्डर कर दिया। जबकि इसके साथ के दूसरे अधिकतर कार्य तय रेट से 10 प्रतिशत घाटे में करवाए गए हैं।
इन धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की
पूर्व मेयर टेंडर घोटाले मामले में आइपीसी की धारा 420, 467, 471, 120-बी, भ्रष्टाचार की धारा 7, 11, 13 और 15 और 34, 149 और 120-बी के सहित अन्य जरूरी धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की।
सरकारी अधिकारी के खिलाफ कानूनी का पहला कदम
एडवोकेट अली अंसारी ने बताया कि किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराने के लिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत नोटिस देना होता है। यह नोटिस संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के उच्च अधिकारी को जाता है। इसकी कॉपी संबंधित अधिकारियों को भी दी जाती है। उच्च अधिकारी को नोटिस के आधार पर एक महीने में मुकदमा दर्ज कराना होता है। संबंधित अधिकारी कानूनी कार्रवाई नहीं करता है तो इलाका मजिस्ट्रेट को इसकी पावर होती है। इलाका मजिस्ट्रेट 156-3 में सीधे मुकदमा दर्ज करा सकता है। ऐसा न होने पर कोर्ट में इस्तगासा दायर कर सकते हैं। इसमें कोर्ट मुकदमा दर्ज कराने से पहले गवाही कराता है। कोर्ट गवाही के आधार पर ही मुकदमा दर्ज कराता है।
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