निर्माण श्रमिक, नंबरदार और चौकीदारों को भी मिलेगा आयुष्मान भारत योजना का लाभ
हरियाणा में विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसमें अनिल विज ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ निर्माण श्रमिक नंबरदार और चौकीदारों को मिलेगा। वहीं इसका लाभ सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 के आंकड़ों के आधार पर वंचित परिवार को मिलेगा।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बताया कि राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयुष्मान भारत योजना का लाभ सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना-2011 के आंकड़ों के आधार पर वंचित परिवारों को भी दिया जाएगा।
भाजपा विधायक प्रमोद कुमार विज के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ देने के लिए सरकार ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के 11 आंकड़ों के अलावा अन्य श्रेणियों को जोडऩे का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि विभिन्न श्रेणियों के परिवार जो पहले से ही इसमें शामिल नहीं किया गया था।
अब निर्माण श्रमिक, नंबरदार, चौकीदार और मुख्यमंत्री परिवार स्मृति योजना ( एमएमपीएसवाई ) सालाना आय 1.80 लाख से कम तथा खेती योग्य भूमि 5 एकड़ से कम वाला शामिल है। उन्होंने बताया कि इन श्रेणियों के परिवारों को अगले छह माह के दौरान इसका लाभ मिलने लगेगा। लाकडाउन के दौरान फीस नहीं बढ़ाने के लिए स्कूलों को सात बार दिए आदेश
निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई का ब्योरा मांगा
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। हरियाणा सरकार ने कोरोना प्रकोप से बचाव को लगाए गए लाकडाउन के दौरान छात्रों से फीस वसूली में निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए सात बार आदेश जारी किए। इन आदेशों के तहत दिए गए सात निर्देशों के बावजूद निजी स्कूलों की मनमानी नहीं रुकने से आहत कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा के शीतकालीन में सरकार से सवाल पूछा।
नीरज शर्मा ने कहा कि कोरोना के समय में लाकडाउन के दौरान निजी स्कूलों के छात्रों को सरकार ने फीस व अन्य खर्चों में किस तरह की छूट दिलवाई। इस पर शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने बताया कि सरकार ने जिला शिक्षाधिकारियों के माध्यम से सीबीएसई, एचबीएसई और आइसीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों को सात निर्देश दिए गए। ये निर्देश 27 मार्च 2020 से 22 मई 2020 तक दिए गए। हालांकि कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने इस जवाब से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि ज्यादातर बड़े स्कूलों ने छात्रों को फीस में कोई छूट नहीं दी। ऐसे स्कूलों पर छात्रों व अभिभावकों की शिकायतों के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की गई।
सरकार ने निजी स्कूलों को दिए ये सात निर्देश
-निजी स्कूल सिर्फ मासिक आधार पर ट््यूशन फीस ले सकेंगे। भवन शुल्क, रख-रखाव शुल्क, प्रवेश शुल्क, कंप्यूटर शुल्क स्थगित कर दिए गए।
-छात्र अग्रिम तीन मास की फीस एवं शुल्क जमा करवाने के लिए बाध्य नहीं हैं।
-मासिक फीस में किसी तरह की बढ़ोतरी स्कूल संचालक नहीं कर सकेंगे।
-निजी स्कूल छात्रों या अभिभावकों से यातायात शुल्क नहीं लिया जाएगा
-2020-21 की अवधि में स्कूल यूनिफार्म,पाठ्य पुस्तकों, प्रैक्टिकल फाइल में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा
-निजी स्कूल फीस न देने के कारण किसी भी छात्र का नाम नहीं काटा जाएगा, न ही छात्र को आनलाइन शिक्षा से वंचित रखेंगे।
-छात्र जून मास 2020 से नियमित फीस जमा कराएंगे।
सरकार ने मेरे सवाल का जवाब अधूरा दिया है। सरकार ने यह नहीं बताया कि जिन स्कूलों के खिलाफ जिला शिक्षाधिकारी के पास शिकायतें आई हैं, उन पर क्या कार्रवाई हुई। निजी स्कूलों ने मनमाने ढंग से छात्रों और उनके अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूली। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की। ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
नीरज शर्मा, विधायक,एनआइटी, फरीदाबाद