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हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के दखल के बाद भी DGP व IPS अफसर में कागजी जंग जारी, जानें क्या है मामला

हरियाणा में वरिष्ठ आइपीएस अफसर वाई पूर्ण कुमार व डीजीपी मनोज यादव के बीच छिड़ी जंग में राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने भी दखल दिया था। इसके बावजूद इनके बीच दोनों अफसरों के बीच कागजी जंग जारी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 08:29 AM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 01:50 PM (IST)
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के दखल के बाद भी DGP व IPS अफसर में कागजी जंग जारी, जानें क्या है मामला
वाई पूर्ण कुमार व मनोज यादव की फाइल फोटो।

अंबाला [दीपक बहल]। हरियाणा प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) मनोज यादव और अंबाला रेंज पुलिस महानिरीक्षक (IG) रहे (अब IGP होमगार्ड) वाई पूर्ण कुमार के बीच धार्मिक स्थल को लेकर उभरे विवाद के बीच राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के दखल दिया था। इसके बाद भी DGP और तत्कालीन IG के बीच दो माह तक कागजी जंग जारी रही। अब मामला इस कदर बढ़ चुका है कि IG ने DGP के खिलाफ एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने की शिकायत एसपी़ अंबाला हामिद अख्तर को लिखित में दी है।

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यह विवाद 3 अगस्त 2020 को शहजादपुर के ट्रैफिक थाने से आरंभ हुआ था। IG शिवलिंग की पूजा करने गए थे, इस दाैरान एसपी अभिशेष जोरवाल भी मौजूद रहे। दैनिक जागरण में चार अगस्त 2020 को IG ने थाने में शिवलिंग की पूजा कर स्थापना कराई शीर्षक से प्रकाशित समाचार पर DGP ने सिर्फ वाई पूर्ण कुमार से ही जवाब तलब किया था। दाेनों आइपीएस अधिकारियोें के बीच विवाद बढ़ता गया।

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इस विवाद के बीच 12 फरवरी 2020 को DGP कार्यालय से प्रदेश के सभी एसपी को पंजाब पुलिस रूल 1934 का हवाला देते हुए धार्मिक स्थलों को लेकर जवाब तलब किया गया। पूछा गया था धार्मिक स्थल कब से है, किसकी अनुमति से हैं, रजिस्टर लगा हुआ या नहीं, कैंपस में किसी तरह के धार्मिक स्थल बनाकर अतिक्रमण न किया जाए। सभी पुलिस अधीक्षक रिकार्ड खंगाल DGP कार्यालय के लिए जवाब तलब कर रहे थे कि प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने तीन दिन बाद यानी 15 फरवरी 2021 को बीच में दखल दिया।

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विज ने DGP से ही जवाब तलब कर लिया कि नीतिगत फैसले बिना सरकार की मंजूरी कैसे लिए जा सकते हैं। कहा था, किसी अधिकारी के पास इस तरह के निर्देश जारी करने के अधिकार नहीं हैं। इसके बाद धार्मिक स्थलों को लेकर कोई फैसला तो नहीं लिया गया लेेकिन DGP और IG के बीच वार्ता जारी रही। 20 अप्रैल 2021 को भी DGP और IG के बीच पत्राचार हुआ। DGP ने IG को लिखे पत्र में कहा कि पांच बार रिमाइंडर दिए, 171 दिन बाद भी संतुष्ट जवाब नहीं दिया गया। जबकि IG तर्क रहा कि शहजादपुर के ट्रैफिक थाने में मंदिर 2011 से हैं, और मार्गदर्शन करने के लिए पूछा था धार्मिक स्थल को लेकर रजिस्टर का फॉर्मेट कैसे होगा। IG इस बात को लेकर भी खफा थे कि सिर्फ उन्हीं से ही जवाब क्यों तलब किया जा रहा है।

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डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटार्नी ने लौटाई फाइल, असलियत छिपाने में जुटे पुलिस अधिकारी

वहीं, अंबाला रेंज के महानिरीक्षक (IG) रहे वाई पूर्ण कुमार की शिकायत पर डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटार्नी ने खास टिप्पणी किए बिना ही फाइल को लौटा दिया है। अब पुलिस अधिकारी असलियत छिपाने मेंं जुट गए हैं। कानूनी राय देने से इस प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेज देखकर ही टिप्पणी करने की बात डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटार्नी की ओर से कही बताई जा रही है।

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चार दिन बाद भी DGP मनोज यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज न होने पर IG ने प्रदेश के मुख्य और गृह सचिव को ई-मेल कर केस करने के बजाय लटकाने की बात कही। आइपीएस अधिकारी ने एससीएसटी एक्ट का हवाला देते कहा FIR अब तक दर्ज हो जानी चाहिए, लेकिन ऐसा न कर एक्ट का उल्लंघन है। इस मामले में ढील बरतने वाले अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे।

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इस एक्ट में सीधे केस दर्ज करने की बात कही जा रही है लेेकिन ऐसा नहीं हुआ। उधर, आपीएस अधिकारी के गैनमैन और चालक को वापस बुलाने की चर्चाएं तेज हो चुकी है। हालांकि, डीजीनी मनोज यादव आरोपों को खारिज कर चुके हैं। उनका कहना था उन्होंने कोई पक्षपात नहीं किया। सभी कर्मचारियों के साथ समानता का व्यवहार करते हैं। उनका कहना थ्रा उन्हें 32 साल की नौकरी में कई मेडल मिल चुके हैं अौर उन्हें दुख है कि इस तरह के आरोप लगाए गए हैं।

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इस तरह का है मामला

DGP के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए एसपी अंबाला हामिद अख्तर को 19 मई को लिखित शिकायत वाई पूर्ण कुमार ने दी है। आइपीएस अधिकारी ने कहा कि वे एससी वर्ग से जुड़े हैं, इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है। अधिकारी को टारगेट कर धार्मिक स्थल पर जाने से रोकने की एक तरह से कोशिश है, जबकि इस पर उनसे जवाब तलबी कर दबाव बनने की कोशिश की जा रही है। वर्तमान में IGP होमगार्ड, वाई पूर्ण कुमार ने कहा कि 3 अगस्त 2020 को शहजादपुर ट्रैफिक थाने में शिवलिंग की स्थापना को लेकर हुए कार्यक्रम गए थे। आइपीएस अभिषेक जोरवाल भी कार्यक्रम में गए थे, लेकिन उनसे काेई जवाब तलब नहीं किया गया।

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सच छिपाने का प्रयास

इस मामले में सच्चाई जानने के लिए एसपी अंबाला हामिद अख्तर के मोबाइल पर फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। एसपी ने मामले की फाइल को अंबाला छावनी सदर थाना को मार्क किया था। डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटार्नी ने क्या राय दी, इसको लेकर एसपी से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया गया।

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