हौसले से सरला की राह सरल, 27 साल बाद मैदान में उतर जीते पदक Panipat News
शादी के तीन महीने बाद ही चारा काटने की मशीन में दायां हाथ कट गया। पति और बेटे ने हौसला बढ़ाया तो 27 साल बाद मैदान में उतरीं और पदक जीते।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। वह कॉलेज की बेस्ट एथलीट रहीं। हौसला ऐसा कि हर मुश्किल को सरल कर लेतीं। गृहस्थी की ओर कदम बढ़ाया तो एक दुर्घटना ने खेल की ओर से कदम खींचने को मजबूर कर दिया। शादी के तीन महीने बाद ही चारा काटने की मशीन में दायां हाथ कट गया। पति और बेटे ने हौसला बढ़ाया। 27 साल बाद खेल के मैदान में उतरीं।
21 से 23 सितंबर को हिसार में हुई हरियाणा राज्य पैरा एथलीट प्रतियोगिता के जेवलिन थ्रो व शॉटपुट में कांस्य पदक जीते। इस सफलता से वे और परिजन खुश हैं। वे दिव्यांग महिलाओं के लिए नजीर बन गई हैं। हम बात कर रहे हैं रोहतक के बलियाना गांव की 48 वर्षीय सरला की। इनकी शादी 14 मई 1992 को शादी सेक्टर-18 के राजपाल मलिक से हुई। शादी के तीन महीने बाद मशीन में चारा काटते समय दायां हाथ कट गया। खेल व पढ़ाई छूट गई। पति के प्रेरित करने के बाद उन्होंने दाएं हाथ से लिखने का अभ्यास किया और एमए की। खेत में गेहूं व धान की कटाई भी कर लेती हैं। अब आंगनबाड़ी वर्कर हैं।
80 वर्षीय निर्मला से ली जैवलिन थ्रो की ट्रेनिंग
सरला मलिक ने बताया कि वे कॉलेज में बेस्ट एथलीटों में शुमार रही हैं। उसने चार पदक भी जीते। हाथ कटने के बाद उसे यकीन नहीं था कि खेल में पदक जीत पाऊंगी। पड़ोस की अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलीट निर्मला देशवाल ने उसे जैवलिन थ्रो का अभ्यास कराया। उन्होंने 2018 में पंचकूला में हुई राज्यस्तरीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में रजत, 400 और 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता।
अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में पदक जीतना लक्ष्य
सरला ने बताया कि राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पदक जीतने से उसका हौसला बढ़ा है। उसका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतना है। अब वे हर रोज तीन घंटे अभ्यास करती है। बेटा रवि भी अभ्यास में उनका सहयोग करता है।
सरला मलिक ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। लड़कियों को उनसे सीख लेकर खेलों में भागीदारी करनी चाहिए। वे भी पदक जीत सकती हैं।
अनिल कुमार, जिला खेल अधिकारी।