कॉमनवेल्थ : पानीपत के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में दिलाया सोना
कॉमनवेल्थ में पानीपत के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में दिलाया सोना।
विजय गाहल्याण पानीपत
खंदरा गाव के लाल नीरज उर्फ निज्जू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 86.47 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता। वह जिले के पहले खिलाड़ी हैं जिन्होंने इतनी बड़ी खेल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है।
3 अप्रैल को नीरज ने गोल्ड कोस्ट से फोन से दैनिक जागरण से बातचीत में कहा था कि उसकी तैयारी अच्छी है। तकनीक में भी सुधार हुआ है। अगर वह 22वीं फेडरेशन कप सीनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 85.94 मीटर थ्रो की तरह बेस्ट कर पाया तो कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जरूर जीतेगा। हुआ भी ऐसा ही। नीरज ने सीजन का बेस्ट थ्रो किया। वे विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप के 86.48 मीटर अपने बेस्ट थ्रो से महज 1 सेंटीमीटर कम ही थ्रो कर पाए। खंदरा में जश्न, मा की प्रार्थना हुई स्वीकार
नीरज की जीत से खंदरा गाव में जश्न का माहौल है। हर कोई बेटे पर नाज कर रहा है। मा सरोज ने भगवान से प्रार्थना की थी कि बेटा स्वर्ण पदक जीते। भगवान ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार भी कर ली है। वे कहती हैं कि बेटे ने दिन-रात कड़ा अभ्यास किया था। रिश्ते-नाते तक याद नहीं किए। न ही किसी रिश्तेदारी के यहा शादी समारोह में गया। ध्यान सिर्फ पदक पर था। उसने यह कर भी दिखाया। नीरज के किसान पिता सतीश कुमार और चाचा भीम सिंह ने कहा कि बेटे नीरज ने पदक जीतकर परिवार, गाव जिले का नाम रोशन कर दिया है। हरियाणा एथलेटिक्स संघ के प्रदेश सचिव राजकुमार मिटान ने कहा कि यह पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। नीरज बहुत मेहनत एथलीट है। उसकी मेहनत रंग लाई है। अब उन्हें विश्वास है की नीरज ओलंपिक में भी पदक जीतेगा।
कभी जेवलिन के लिए तरसता था पाच साल पहले जेवलिन अभ्यास के लिए जेवलिन नहीं थी। अच्छी जेवलिन की कीमत डेढ़ लाख रुपये थी। हौसला नहीं खोया। पिता सतीश कुमार व चाचा भीम सिंह चोपड़ा से सात हजार रुपये लेकर काम चलाऊ जेवलिन खरीदी और हर दिन आठ घटे अभ्यास किया। इसी के बूते अंडर-16, 18 और 20 की मीट व नेशनल रिकॉर्ड बना डाला। इसके बाद इंडिया कैंप में चयन हुआ। फिर एक से डेढ़ लाख रुपये तक की जेवलिन से अभ्यास का मौका मिला और पोलैंड में अंडर-20 व?र्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में व?र्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया। चोपड़ा का कहना है कि विदेशी खिलाड़ियों से हम किसी भी तरह से कम नहीं हैं। कमी है तो हार के समय बिखर जाना और लक्ष्य से जी चुराना। जेवलिन थ्रो मंहगा खेल है। इस खेल में सरकार, संस्थाओं और सामाजिक संगठनों ने खिलाड़ियों का सहयोग करना होगा।
जय-जीतू की जोड़ी ने बनाया चैंपियन : नीरज चोपड़ा ने बताया कि पंचकूला के एथलेटिक्स कोच नसीम अहमद ने उसकी तकनीक में सुधार कराया है। शुरुआती तकनीकी गुरु बिंझौल गाव के जयवीर सिंह ढौंचक उर्फ जय रहे। इनसे भी पहले मॉडल टाउन के जितेंद्र उर्फ जीतू ने 2011 में शिवाजी स्टेडियम में 80 किलो की नीरज को फिटनेस ट्रेनिंग कराई। इसी की बदौलत नीरज ने 22 किलो वजन कम किया। तभी वह जेवलिन थ्रो करने में माहिर बना। कोच बोले, नीरज का तेजी से हाथ चलाना मजबूत पक्ष
कोच नसीम अहमद ने बताया कि उसके शिष्यों में नीरज की बात ही निराली है। औरों को जहा 50 बार तकनीक सिखाई जाती है, नीरज उसे पाच बार में ही सीख लेता है। नीरज का हाथ बड़ी तेजी से जेवलिन को फेंकता है। यही तकनीक उसे चैंपियन बनाती है।
रिकॉर्ड का बादशाह है नीरज
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-अंडर-20 में वर्ल्ड रिकॉर्ड। इंडिया रिकॉर्ड। -2016 में साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक के साथ-साथ इंडिया रिकॉर्ड की बराबरी। -2014 में अंडर-18 नेशनल यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नेशनल रिकॉर्ड। -2015 में अंडर-20 फेडरेशन कप जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशप का न्यू मीट रिकॉर्ड। -2012 में अंडर-16 नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रिकॉर्ड।